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2 Jan 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

ठिठुरन हो या कठूरन, सब कुदरत की माया है।
जरूरी नहीं वही अच्छा है, जो तुमको भाया है।
कंबल ओढ़ कर ही, नाचो-गाओ खुशी मनाओ;
सन् बीस-चौबीस बीता, बीस-पच्चीस आया है।
pk

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