मुक्तक
मुक्तक
ठिठुरन हो या कठूरन, सब कुदरत की माया है।
जरूरी नहीं वही अच्छा है, जो तुमको भाया है।
कंबल ओढ़ कर ही, नाचो-गाओ खुशी मनाओ;
सन् बीस-चौबीस बीता, बीस-पच्चीस आया है।
pk
मुक्तक
ठिठुरन हो या कठूरन, सब कुदरत की माया है।
जरूरी नहीं वही अच्छा है, जो तुमको भाया है।
कंबल ओढ़ कर ही, नाचो-गाओ खुशी मनाओ;
सन् बीस-चौबीस बीता, बीस-पच्चीस आया है।
pk