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26 Sep 2021 · 1 min read

नीले आसमान के नीचे उड़े चुनर धानी

नीले आसमान के नीचे
उड़े चुनर धानी
इक तेरी
इक मेरी
इकतारे की धुन पे
लहराती
फूलों की ताजगी सी महकती
एक जीवंत अमर प्रेम कहानी
न तू है
न मैं हूं
बस दो दिलों के बीच
प्रेम का बन्धन है
न तू हवा
न मैं पानी
बस हम दोनों की आंखों में
जल रही अंगारों सी
प्रेम की अग्न है
न तू दूर
न मैं करीब
पानी से लहराते सायों के
वीराने में
हमारी एकरस छवि है
न मैं मैं
न तुम तुम
न मैं तुम
न तुम मैं
हम दो जिस्म नहीं
एक जान हैं
तेरी सांसों से जो आ रही
सौंधी सौंधी महक
उससे मुझे हर पल
एक नई चेतना
एक नई जिन्दगी
एक नई सोच
एक नई दिशा
एक नई सपनों की सुनहरी
मंजिल मिली है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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