Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2021 · 1 min read

नूर ए हुस्न

आपके चेहरे के नूर के आगे
सब सादा सा लगता है,
है तो वो पूनम का चांद पर
आपके सामने आधा सा लगता है।।

बातें आपकी सबको दीवाना बनाती हैं,
हंसी ऐसी जो बिजलियाँ गिराती है।
कैसे बताऊँ मैं आपको – आपके जलवे,
आप तो नजरों से ही पानी में आग लगातीं हैं।।

शर्म से सिर को झुका लेना,
फिर मन्द-मन्द मुस्का देना।
आपके लिए यह कितना आसान है,
सबपर बिजली का कहर बरसा देना।।

एक दूसरे में लिपटे आपके बाल हैं,
काम ऐसा करती हैं जैसे बिना कपडे की रुमाल है।
आपसे जुड़े सारे एहसास कमाल हैं,
आपकी अदाएँ तो एक नम्बर बवाल हैं।।

©अभिषेक पाण्डेय अभि

50 Likes · 6 Comments · 527 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

म
*प्रणय प्रभात*
जिंदगी संवार लूं
जिंदगी संवार लूं
Santosh kumar Miri
हिंदी दोहे -हृदय (राजीव नामदेव राना लिधौरी)
हिंदी दोहे -हृदय (राजीव नामदेव राना लिधौरी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संदेह
संदेह
Kanchan verma
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
- विचित्र सी दुनिया -
- विचित्र सी दुनिया -
bharat gehlot
Kooda
Kooda
Dr.VINEETH M.C
सबके जीवन में
सबके जीवन में
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
भ्रम और तसल्ली
भ्रम और तसल्ली
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अगर कोई आपको प्राथमिकता देता है तो उसे सस्ता मत समझ लेना, बल
अगर कोई आपको प्राथमिकता देता है तो उसे सस्ता मत समझ लेना, बल
पूर्वार्थ देव
"काफ़ी अकेला हूं" से "अकेले ही काफ़ी हूं" तक का सफ़र
ओसमणी साहू 'ओश'
3752.💐 *पूर्णिका* 💐
3752.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सुनो न..
सुनो न..
हिमांशु Kulshrestha
पाठशाला की यादे
पाठशाला की यादे
krupa Kadam
सावन
सावन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
भौतिक युग की सम्पदा,
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
खुद ये महदूद दायरा रक्खा,
खुद ये महदूद दायरा रक्खा,
Dr fauzia Naseem shad
अरमान दिल में है
अरमान दिल में है
दीपक बवेजा सरल
सत्य तत्व है जीवन का खोज
सत्य तत्व है जीवन का खोज
Buddha Prakash
क़िताबों से सजाया गया है मेरे कमरे को,
क़िताबों से सजाया गया है मेरे कमरे को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लिखी हैँ किताबें कई, ज़िन्दगी ने मेरी
लिखी हैँ किताबें कई, ज़िन्दगी ने मेरी
Kamla Prakash
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
छंद मुक्त कविता : विघटन
छंद मुक्त कविता : विघटन
Sushila joshi
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
Rituraj shivem verma
मनुष्य को...
मनुष्य को...
ओंकार मिश्र
बदनाम शराब
बदनाम शराब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"अन्दाज"
Dr. Kishan tandon kranti
स्नेह बढ़ाएं
स्नेह बढ़ाएं
surenderpal vaidya
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
विषय : बाढ़
विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...