Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2021 · 2 min read

कठमूल्लेपन के नाम एक फतवा (हास्य कटाक्ष)

कठमूल्लेपन के नाम एक फतवा
(हास्य कटाक्ष)

चाचा जान अपनी अधपकि दाढ़ि खजुआते हुए बोला क्यों कारीगर मियाँ ये कौमी एकता के जद्दोजहद मे लगे रहते हो? क्या लोग मान लेंगे तुम्हारी हमारी बात? हर कोइ तो मजहबी दंगों मे तमाशाबीन बना हुआ है? पूरा देश हिंदू मुस्लिम झगड़ो मे उलझा हुआ और नेता लोग एक ही थाली के चट्टे बट्टे हम सभी को गुमराह करने पर तुला हुआ?
दिल्ली गेट वाले वो रहीम चाचा अक्सर मिल जाया करते थे जब मैं अम्बेडकर स्टेडियम रिपोर्टिंग के लिए जाता. चाचाजान कभी खेल के मैदान मे तो कभी आई. टी. ओ पे अक्सर मिल जाया करते. उनसे अच्छि बनती थी इतना की वो कहते की मेरे दाढ़ी मे खुजलाहट हो रही तो उनकी दाढ़ी भी खजुआ देता था. खेल के साथ देश दुनिया के हालात पे भी उनसे बतिया लिया करते. मानवीय विचारों वाले चाचाजान अक्सर टोकते की लोग कैसे मज़हब के नाम पर दंगे फसाद मे लग जाते?
मैने चाचा जान को टोका की आप इन सबको रोकते क्यूं नहीं? समझा तो सकते ही हैं? चाचा ने कहा कि़शन बेटे किस किस को समझांउ? देखा कल ओ तुम्हारे पड़ोस वाले काशी पंडित कैसे मुझे घूरे जा रहे थे? उनका बस चलता तो बहकाबे मे आके हमारी दाढ़ि भी जला डालते? मैने कहा हमारे रहते एसे थोड़े न होने दूंगा चाचा? उन्होंने कहा तुम हमेशा मेरे साथ ही रहोगे या रिपोर्टिंग के बाद दफ़्तर भी लौटोगे? मैने कहा हाँ वो तो ठीक है.

देखा नहीं आपने उस दिन दरियागंज बाज़ार मे अशरफ मुझसे कैसी बहकी बाते कर रहा था? कह रहा था तुम और रहीम चाचाजान एक साथ क्यूँ बैठते? अशरफ के ईशारे पर तो लोक हाथापाई तक कर लेते शायद. चाचा बोले किशन बेटे तूं चिंता न कर मै अशरफ को समझा लूँगा. मैने पूछा की कुछ एसा की अशरफ और काशी पंडित को समझाना ही ना परे? चाचा फिर से अपनी दाढ़ि खजुआते बोला हां है ना? जो भी मज़हबी दंगे करे वैसे कठमूल्ली सोच वालों के लिए कठमूल्लेपन का नाम एक फ़तवा? की जनता एसे दंगाईओ को ठीक से समझा दे की फिर दंगा ही न हो.

लेखक -किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

1 Like · 1220 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

*** कृष्ण रंग ही : प्रेम रंग....!!! ***
*** कृष्ण रंग ही : प्रेम रंग....!!! ***
VEDANTA PATEL
चिन्तन के पार चला
चिन्तन के पार चला
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हां मैं दोगला...!
हां मैं दोगला...!
भवेश
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
Pratibha Pandey
खुदा का नाम बदनाम कर दिया ...
खुदा का नाम बदनाम कर दिया ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Sushil Pandey
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
Manoj Mahato
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
..
..
*प्रणय प्रभात*
शीशै का  दिल
शीशै का दिल
shabina. Naaz
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
The wrong partner in your life will teach you that you can d
The wrong partner in your life will teach you that you can d
पूर्वार्थ
जीवन हो गए
जीवन हो गए
Suryakant Dwivedi
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
Buddha Prakash
Water
Water
SUNDER LAL PGT ENGLISH
"विशिष्टता"
Dr. Kishan tandon kranti
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
Rj Anand Prajapati
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
ये ज़िंदगी तुम्हारी है...
Ajit Kumar "Karn"
3678.💐 *पूर्णिका* 💐
3678.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पिता प्रेम
पिता प्रेम
Jalaj Dwivedi
वसंत पंचमी और माँ सरस्वती
वसंत पंचमी और माँ सरस्वती
Sudhir srivastava
सफर वो जिसमें कोई हमसफ़र हो
सफर वो जिसमें कोई हमसफ़र हो
VINOD CHAUHAN
उम्मीदों के दामन थामकर चलना चाहिए ।
उम्मीदों के दामन थामकर चलना चाहिए ।
DR. RAKESH KUMAR KURRE
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
SATPAL CHAUHAN
मुस्कुराना सीखिए
मुस्कुराना सीखिए
साहित्य गौरव
जीवन नैया
जीवन नैया
शशि कांत श्रीवास्तव
माटी :कुछ दोहे
माटी :कुछ दोहे
sushil sarna
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
मस्अला क्या है, ये लड़ाई क्यूँ.?
पंकज परिंदा
अलविदा
अलविदा
Dr fauzia Naseem shad
बेजुबानों से प्रेम
बेजुबानों से प्रेम
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
Loading...