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17 Jul 2021 · 1 min read

कौन हूँ मैं ?

एक नन्हा सा दीप हूँ मैं ,
मुझे अंधकार में रोशन तो होने दो ।

एक महकती हवा सा हूँ मैं,
मुझे मन्द मन्द बहने तो दो।

नीलाम्बर सा हूँ मैं,
मुझे धरा को निहारने तो दो,

श्वेत-श्याम मेघ सा हूँ मैं,
मुझे पर्वतों का आलिंगन तो करने दो।

नीर की इक बूँद सा हूँ मैं,
मुझे क्षीर में मिल जाने तो दो।

हिम शैल-शिखर सा हूँ मैं,
मुझे थोड़ा अडिग तो रहने हो ।

एक हँसता – मुस्कुराता पुष्प हूँ मैं,
मुझे प्रकृति का श्रृंगार तो करने दो ।

मैं क्या हूँ और क्या नहीं,
बस मुझे अनभिज्ञ से भिज्ञ तो हो जाने दो ।

©®- अमित नैथानी ‘मिट्ठू’ – (अनभिज्ञ )

Language: Hindi
321 Views
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