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26 Jun 2021 · 1 min read

ये रीतियाँ

क्यौ मां ऐसी कैसी ये रेतियाँँ
क्यो होती है पराई ये बेटियां
जिस फूल को 18,20 वर्षों तक सींंचती
1 दिन क्यौ उसे अपने कलेजे से दूर करती

दूर तुझसे रह कर रह ना पाऊंगी
मेरी याद में तुझे भी रुलाऊंगी
मेरी हर खुशी को पूरा किया
इस खुशी को क्यों ठुकरा दिया

बेटे बेटी दोनों को जन्म दिया
फिर बेटी को ही क्यों परदेस दिया
बेटे को तो कलेजे से लगाया
बेटी को क्यों अजनबी हाथों में सौंप दिया

ससुराल की रिवाजों में ना जाने किस कदर जकड़ी जाऊंगी अग्नीपथ भरे इस दौर में हर धर्म और कर्म कैसे निभाऊंगी

रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश

Language: Hindi
417 Views
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