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13 May 2021 · 1 min read

जरा अदब से मुझसे मिला करो।

तेरी मुफलिसी का जबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
मैं बीती रात का ख्वाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
तेरे लम्स जिसको उम्र भर तरसा किये इस दहर में।
मैं वही फसले शबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
फ़िरक़ों में सबको बांट कर करते अमन की बात तुम।
मैं मज़हबी दोआब हूं जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
तुम ख़ार थे तुम ख़ार हो तुम ख़ार ही रह जाओगे।
फीका हूँ पर गुलाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
कुछ बर्बरों को देखकर तुम मत मुझे बयां करो।
मैं इक हसीं मेहराब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
जो गोद में लेकर तुझे दुलरायें नींदों ख़्वाब दे।
मैं इक वहीं महताब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
” नज़र ” जिसकी खोज में तेरी नज़र बेताब थी।
मैं ही वही किताब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
कुमारकलहँस, 13,05,2022, बोइसर, पालघर।

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