Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

*चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो*

~~~~~~~~~~~~~~~~
चिड़ियों को जल दाना डाल रहा है वो।
उन्हें फंसाने को बिछा,जाल रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नए ज़माने का इश्क, फरमा रहा है वो,
अरे ! इश्क में भी चल चाल रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वो समझे कि हम भी मोहब्बत करते हैं,
खुशफहमी है उसे, जो पाल रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उसे फुर्सत नहीं है, मेरी बात सुनने को,
मेरी कही हर बात को, टाल रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हर बार हम ही आए, उसके झांसे में,
शातिर शिकारी बाकमाल! रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जबाव था मेरे पास उसके सवाल का,
मेरे सवाल पर, खुद सवाल रहा है वो।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।

Language: Hindi
1 Like · 146 Views

You may also like these posts

इल्म कुछ ऐसा दे
इल्म कुछ ऐसा दे
Ghanshyam Poddar
माँ - सम्पूर्ण संसार
माँ - सम्पूर्ण संसार
Savitri Dhayal
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
आजाद हिंदुस्तान में
आजाद हिंदुस्तान में
gurudeenverma198
नर से नारायण
नर से नारायण
Pratibha Pandey
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kabhi jo dard ki dawa hua krta tha
Kumar lalit
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
साकार आकार
साकार आकार
Dr. Rajeev Jain
किसी भी स्त्री का उत्पीड़न न करें क्योंकि प्रत्येक स्त्री एक
किसी भी स्त्री का उत्पीड़न न करें क्योंकि प्रत्येक स्त्री एक
गुमनाम 'बाबा'
"खामोशी की गहराईयों में"
Pushpraj Anant
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
सगीर की ग़ज़ल
सगीर की ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*दादा-दादी (बाल कविता)*
*दादा-दादी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
Dr MusafiR BaithA
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना
Ritu Asooja
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विस्तार ____असीम की ओर (कविता) स्मारिका विषय 77 समागम
विस्तार ____असीम की ओर (कविता) स्मारिका विषय 77 समागम
Mangu singh
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
रास्ते और राह ही तो होते है
रास्ते और राह ही तो होते है
Neeraj Agarwal
निर्णय
निर्णय
NAVNEET SINGH
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
Ranjeet kumar patre
"भँडारे मेँ मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अज्ञानी ज्ञानी हुए,
अज्ञानी ज्ञानी हुए,
sushil sarna
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
जगदीश लववंशी
अक्स मेरा
अक्स मेरा
Dr Mukesh 'Aseemit'
2578.पूर्णिका
2578.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मित्रों सुनो
मित्रों सुनो
Arvina
Loading...