उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
Isn't it strange how some friendships
यही विश्वास रिश्तो की चिंगम है
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
साहिल समंदर के तट पर खड़ी हूँ,
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इंडिया !! भारत से मिलवाता हूँ|
- मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित -
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
बच्चो की कविता -गधा बड़ा भोला