मेरा जीवन है प्रिये,
कुण्डलिया।
मैंने जीवन व्रत लिया , ह्रदय धार श्री राम ।
परहित निज जीवन करुँ, सेवा हो निष्काम ||
सेवा हो निष्काम ,चंचला धन की छाया|
धन है धूल समान ,ठगेगी सबको माया||
कहें प्रेम कविराय, सत्य पथ कठिन है तेरा |
चुनूँ प्रेम का मार्ग ,पथिक है जीवन मेरा।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय ,सीतापुर।
मौलिक रचना।