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21 Feb 2024 · 1 min read

वो

क़रीब क़रीब सब बेक़रार थे
सब उसके ही तलबगार थे

उसने एक इशारा ही किया
पल भर में सब तैयार थे

मेरी तो किसी ने भी न सुनी
सबके अपने ज़िक्र ए-यार थे

जवाब एक मगर मिला सबको
सवाल तो जबकि बेशुमार थे

अजय मिश्र

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