आज़ाद गज़ल
बड़ी बेरहमी से जज्बात को दबाया मैने,
दिल की हर इक बात को है छुपाया मैने ।
तू मेरे दर्द रही कितनी बेखबर, लेकिन ,
रुबरु तेरे हरपल मगर मुस्कुराया मैने ।
झलक न जाए ईज़हार मेरी आखों से ,
तेरे चेहरे से निगाहों को हटाया मैने।
कोई उम्मीद न पनप जाए तूझे पाने की,
हर लम्हा समझा है तुझको पराया मैने ।
तेरी हँसी,तेरी खुशी,तेरी सलामती को,
अक़्सर दुआ को हाथ है उठाया मैने।
फूल सहरा मे खिलाना था मुश्किल यारों
काँटो को ही बड़े प्यार से उगाया मैने।
दफन हो गई हसरतें हालात के कब्र मे,
थी मर्ज़ी खुदा की,खुद को समझाया मैने।
-अजय प्रसाद
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