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15 Jun 2020 · 1 min read

“गुस्ताखियाँ ” आज़ाद गज़ल

उस्ताद कई हैं फ़ेसबुकिया जो शायरी सिखातें हैं
और बे-बहर लिखनेवालों की औकात बतातें हैं ।
बे-अरूज़ गज़ल कहना है उनकी नज़र में गुनाह
मगर पेट पालने के लिए वो कहीं और से कमातें हैं ।
मतला,मकता,काफ़िया और रदीफ़ के साथ साथ
क्या है रुक्न और कितने हैं बहर सब बतातें हैं ।
किसे कहतें हैं तरही मुशायरा, क्या है फिलबदीह
तमाम चीजों को वो बेहद बारीकी से समझातें हैं ।
काफ़िये के कायदे,और कवायद-ए-रदीफ़ ही नहीं
वल्की कैसे मात्रा गिना जाता है ये भी बतातें हैं ।
क्या है मात्रा गिराने के नियम के फायदे गज़ल में
कैसे कही जातें हैं गज़लें बहर में यारों सिखातें हैं ।
कई नामी गिरामी शायरों के शेरों पे होती है बहस
और नये लिखनेवालों को उनके नाम से डरातें हैं ।
सब जानते है कि ज़िंदगी शायरों की गुजरी कैसे
लेकिन बस उनके लिखे कलामों को ही गिनातें हैं ।
तेरा क्या होगा अजय तू सोंच के रख ले अभी से
पता नहीं तुझे कहाँ से ये लोग इतना जोश लातें हैं ।
-अजय प्रसाद

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