Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

12 212 , 212 212

खुशबुओं से भरी आपकी आश्की।
ताजगी भर गई आपकी आश्की।

बात ही बात में बात बनने लगी
प्यार से भर गई आपकी आश्की

खूब हँसते रहे और हँसाते रहे
गीत में ढल गई आपकी आश्की ।

हर जगह तुम दिखे नूर अपना लिए
सूफियाना हुई आपकी आश्की ।।

राह तकते रहे उम्र भर आपकी
आँख राहें हुई आपकी आश्की ।।

खत नही पढ़ सके आपने जो लिखे
गम जदा सी हुई आपकी आश्की ।।

सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777

Loading...