Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2020 · 1 min read

रीड की वापसी का सफर

किसी का खेत कमाते थे
किसी के बच्चे खिलाते थे
किसी का बागीचा संवारते थे
गाड़ी में सामान चढ़ाते थे, उतारते थे
हम सोते थे पांच कमरों में चार जन
वो एक कमरे में दस दस वक़्त गुजारते थे
सामान का लदा ठेला बाज़ारों में खीचते थे
सब्जी लेलो, आईसक्रीम लेलो गलियो में चीखते थे
कभी लगाई खेतो में पौध कभी काट के फसल खिलाई
ढो के सिर पे रेत,रोड़ी, ईंटे कभी घर कभी इमारत बनाई
हमारी जमीन जायदाद के पहरेदार भी थे
कारखानों में मेहनतकश भी थे चौकीदार भी थे
मेहनत के सबसे करीब और कमाई से कोसो दूर थे
मेंहनत कराते दिनरात इनसे हम इन्हें कहते मजदूर थे

बना दिया व्हाइट कॉलर जो कभी धूल चढ़ी रद्दी भी थे
बड़े मिल भूल गए की वो कभी छोटी छोटी खड्डी भी थे
काट दिया मजदूरों को बढ़े हुए नाखुन समझकर
अपाहिज होके ये जाना वो रीड की हड्डी भी थे

उम्मीद हाथ से रेत की तरह फिसल रही है
रूठ कर किस्मत शहरों से नगें पाव निकल रही है
सिर पे गठरी है, ठोकरों में है अर्थव्यवस्था इसके
ये जो भीड़ सड़को के किनारे पैदल चल रही है

हाथ जोड़, पाव पकड़, गले लगा, खुशामद कर
वक़्त है सारी भावनाएं मनाने को झोंक ले
ये मजदूर नही तेरी किस्मत जा रही है रूठ के
कुछ भी कर इंतजाम इन्हें जाने से रोक ले इन्हें जाने से रोक ले…..
—ध्यानू

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 391 Views

You may also like these posts

पग - पग पर बिखरा लावा है
पग - पग पर बिखरा लावा है
Priya Maithil
रोशनी की किरण
रोशनी की किरण
Jyoti Roshni
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी हस्ती
मेरी हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
बहनों की मोहब्बत की है अज़्मत की अलामत
बहनों की मोहब्बत की है अज़्मत की अलामत
पूर्वार्थ
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
#काव्यात्मक_व्यंग्य :--
*प्रणय*
कृष्ण थक गए हैं
कृष्ण थक गए हैं
आशा शैली
I became extremely pleased to go through your marvellous ach
I became extremely pleased to go through your marvellous ach
manorath maharaj
होली आई, होली आई,
होली आई, होली आई,
Nitesh Shah
भूख से लोग
भूख से लोग
Dr fauzia Naseem shad
मुरधर वाळा देस मे जबरौ अेक गांव धुम्बड़ियौ। 💓
मुरधर वाळा देस मे जबरौ अेक गांव धुम्बड़ियौ। 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कविता -
कविता -
Mahendra Narayan
मेरी आँचल
मेरी आँचल
ललकार भारद्वाज
“ख़्वाब देखे मैंने कई  सारे है
“ख़्वाब देखे मैंने कई सारे है
Neeraj kumar Soni
तुझ से ऐ जालिम
तुझ से ऐ जालिम
Chitra Bisht
दोहा
दोहा
sushil sarna
दोहे - डी के निवातिया
दोहे - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
आज उम्मीद है के कल अच्छा होगा
आज उम्मीद है के कल अच्छा होगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़लती करना प्रकृति हमारी
ग़लती करना प्रकृति हमारी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
Ajit Kumar "Karn"
प्यार की चंद पन्नों की किताब में
प्यार की चंद पन्नों की किताब में
Mangilal 713
23/02.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/02.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पल को ना भूलो
पल को ना भूलो
Shashank Mishra
सेल्फी या सेल्फिश
सेल्फी या सेल्फिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बसंत के रंग
बसंत के रंग
Shutisha Rajput
"हँसिया"
Dr. Kishan tandon kranti
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
*बगिया जोखीराम का प्राचीन शिवालय*
Ravi Prakash
घुंटन जीवन का🙏
घुंटन जीवन का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...