Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2019 · 2 min read

देवी महात्म्य प्रथम अंक

दुर्गा महात्म्य
प्रथम अंक
???????????

आज सुनाऊँ तुमको गाथा ,धर्म सनातन भारी है।

जिसमें ध्याते देव अनेको ,सबकी महिमा न्यारी है।

पर कलियुग में पाँच देव को , सबसे ज्यादा भजते है।

करें उपासना सभी इनकी ,इन्हें उपास्य कहते है ।

भगवान विष्णु अरु देव अरुण, गौरीसुत श्रीश्री गणेश।

दुर्गा श्रीजगदम्बा माता ,महादेव श्री श्री महेश।

कलियुग में दुर्गा माता का , महत्व गणेश के जैसा है ।

शीघ्र मनोरथ पूरा करते , दोनों का महत्व विशेषा है।

इनमे से भी माँ दुर्गा को ,ईश्वर की शक्ति माना है।

सभी देव करते है जिसको, वो दुर्गा भक्ति माना है।

समय समय पर दुर्गा माँ ने ,अपने बहु अवतार लिये।

भक्त वत्सला मां दुर्गा ने ,असुर बहुत संहार किये।

उनकी एक छोटी सी गाथा ,अल्पमति से लिखता हूँ।

इसमें कोई खोट रहे तो , क्षमा निवेदन करता हूँ।

धर्म सनातन की महिमा भी ,सब धर्मों से न्यारी है।

हर इक पर्व की महत्ता भी , लगती बड़ी ही प्यारी है।

नवरात्री भी उस क्रम में ही ,कुछ अलग महत्व ही रखते है।

भक्त सभी इन नवरातो मे ,शक्ति अराधन करते है।

★★★
प्रथम दिवस में जिस दुर्गा का , ध्यान भक्त जन करते है।

गिरजा, पार्वती , हिमपुत्री ,शैलजा उसको कहते है ।

जो भी प्राणी शैल सुता को प्रेम योग से ध्याता है।

उसकी इच्छा सब पूरी होती , सब फल ही वह पाता है ।

शैल कुमारी शैलसुता का , वाहन वृषभ कहाया है।

वाम हाथ में कमल सुशोभित , दाएं त्रिशूल भाया है।

★★★★
उमा गई जब बिना निमंत्रण, पिता भवन यगशाला में।

शिव शंकर ने मना किया पर, सुना नहीं हिमबाला ने।

जाकर देखा महादेव का ,नाम नही सम्मानों में।

सिवा मात सब को ही शामिल ,पाया इन अपमानों में।

क्रोध किया फिर दक्षसुता ने ,जनक दक्ष को ललकारा।

कूद कुण्ड में हवन पिता का ,सारा ही यज्ञ बिगारा।

सती हुई जब दक्ष सुता तो ,हाहाकार मचा भारी।

महादेव की कोप अनल में ,डरती थी जनता सारी।

यही सती फिर हिम घर जन्मी, शैलकुमारी बनकर के।

वर पाया पति महादेव सा ,भारी तपस्या कर कर के।

जो भजता गिरजा को तब से ,वो तप का पुण्य पाता है।

सिद्दी सब मिल जाती उसको ,अंत धाम शिव जाता है।

प्रथम दिवस में जाग्रत होता,मूलाधार चक्र भक्ति का।

जिसे मानते विद्या कारक,सूत्र सभी ही शक्ति का।

क्रमशः — अगले अंक में
कलम घिसाई
9414764891
*********************************
?आधार श्लोक ?
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम

आधारित छंद —- ताटक।

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 935 Views

You may also like these posts

वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
मेरी प्यारी कुंडलिनी
मेरी प्यारी कुंडलिनी
Rambali Mishra
राधे
राधे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*खेल खिलौने*
*खेल खिलौने*
Dushyant Kumar
ग़ुरूर
ग़ुरूर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
..
..
*प्रणय*
मिट जाता शमशान में,
मिट जाता शमशान में,
sushil sarna
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
Shweta Soni
अगर अपने ही लोग आपको पसंद नही करते है तो समझिए आपने उनसे बहु
अगर अपने ही लोग आपको पसंद नही करते है तो समझिए आपने उनसे बहु
Rj Anand Prajapati
।।बचपन के दिन ।।
।।बचपन के दिन ।।
Shashi kala vyas
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
मोहब्बत का हुनर
मोहब्बत का हुनर
Phool gufran
Being an
Being an "understanding person" is the worst kind of thing.
पूर्वार्थ
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
हिंदवासी हिंदी बोलो
हिंदवासी हिंदी बोलो
Sarla Mehta
गरीब कौन
गरीब कौन
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आजकल
आजकल
sheema anmol
पीछे मत देखो
पीछे मत देखो
Shekhar Chandra Mitra
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
Khaimsingh Saini
नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद
नहीं आऊँगा तेरी दर पे, मैं आज के बाद
gurudeenverma198
भाग्य और कर्म
भाग्य और कर्म
Pushpa Tiwari
मजा मुस्कुराने का लेते वही,
मजा मुस्कुराने का लेते वही,
Sunil Suman
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चेहरा ।
चेहरा ।
Acharya Rama Nand Mandal
* सिर पर हाथ**
* सिर पर हाथ**
Dr. P.C. Bisen
हर शब्द सिद्धांत
हर शब्द सिद्धांत
संतोष बरमैया जय
Loading...