रहने दे
सूरज की मानींद तू ढलना सीख ले
गुजरते उम्र के साथ पलना सीख ले ।
तकलीफें बेहद राहत देंगी तुझे देख
वक्त के सांचे में तू ढलना सीख ले ।
सख्ती हर बात में अच्छी नहीं होती
मोम की तरह से पिघलना सीख ले ।
रौशनी गर चाहिए तुझे सफर में
खुद ही अन्दर से जलना सीख ले ।
फ़िर न सताएगा खौफ़ तुझे मरने का
अजय किसी हसीं पे मरना सीख ले ।
-अजय प्रसाद