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27 Jul 2019 · 1 min read

रहने दे

सूरज की मानींद तू ढलना सीख ले
गुजरते उम्र के साथ पलना सीख ले ।
तकलीफें बेहद राहत देंगी तुझे देख
वक्त के सांचे में तू ढलना सीख ले ।
सख्ती हर बात में अच्छी नहीं होती
मोम की तरह से पिघलना सीख ले ।
रौशनी गर चाहिए तुझे सफर में
खुद ही अन्दर से जलना सीख ले ।
फ़िर न सताएगा खौफ़ तुझे मरने का
अजय किसी हसीं पे मरना सीख ले ।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 223 Views

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