मुक्तक
” तेरे होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी,
तुझसे जब नज़रें मिलीं तो वो घड़ी अच्छी लगी,
तुमने जब हँसते हुए मुझसे कहा` तुम हो मेरे `
दिन गुलाबी हो गए ,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी “
” तेरे होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी,
तुझसे जब नज़रें मिलीं तो वो घड़ी अच्छी लगी,
तुमने जब हँसते हुए मुझसे कहा` तुम हो मेरे `
दिन गुलाबी हो गए ,ये ज़िन्दगी अच्छी लगी “