मुक्तक
यूं मुस्करा हम मिले इतने दिनों के बाद,
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनों के बाद ,
चंचल हवाएं शोख-सी पानी पे तैरतीं,
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनों के बाद
यूं मुस्करा हम मिले इतने दिनों के बाद,
आएं हैं दिन बहार के इतने दिनों के बाद ,
चंचल हवाएं शोख-सी पानी पे तैरतीं,
थे दो किनारे यूं मिले इतने दिनों के बाद