मुक्तक
“जब से ज़िंदगी ये ज़िंदगी होने लगी,
दिये में इक नई सी रौशनी होने लगी,
नई कुछ हसरतें दिल में बसेरा कर रही हैं,
बहुत आबाद अब दिल की गली होने लगी”
“जब से ज़िंदगी ये ज़िंदगी होने लगी,
दिये में इक नई सी रौशनी होने लगी,
नई कुछ हसरतें दिल में बसेरा कर रही हैं,
बहुत आबाद अब दिल की गली होने लगी”