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17 Nov 2018 · 1 min read

इस बार हंसाया जाये

::::::::::::::::::::::::::गजल :::::::::::::::::::::::::::

महफ़िली दौर से बाहर भी तो आया जाये
शाम बोझिल है लौट घर भी तो जाया जाये

सफ़र में तमाम उम्र जो साथ चलती रही
रूठी जो मुझसे खुशियां एक बार मनाया जाये

वाकिफ़ हूँ जिंदगी की सच्चाई से भी बेहतर
रोता रहा हूँ ख़ुद ही इस बार हंसाया जाये

कबके बिछड़े हैं किनारे किसी दरिया के
कोशिश हो आज उनको एक बार मिलाया जाये

खिलौना टूटना बेहतर न कोई प्यार दे उसको
रूठे बच्चे को गुदगुदाकर ही हँसाया जाये

रचनाकार-योगेन्द्र योगी
मोबाइल नंबर – 7607551907

1 Like · 332 Views
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