ज़माने भर की ख्वाहिशें है
ज़माने भर की ख्वाहिशें है
हर रोज कुछ नया देखने की
मगर मेरी चाहत आज भी है
तुम्हारी वहीं पुरानी मुस्कान देखने की
शिव प्रताप लोधी
ज़माने भर की ख्वाहिशें है
हर रोज कुछ नया देखने की
मगर मेरी चाहत आज भी है
तुम्हारी वहीं पुरानी मुस्कान देखने की
शिव प्रताप लोधी