Manisha Manjari Language: Hindi 191 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read वाक्यों के मध्य का मौन वाक्यों के मध्य का मौन सुना है, कभी उसमें एक चीख़ सी मौजुद होती है। इक साधारण से दृश्य के पीछे, भी पूरी पटकथा ससंवाद लिखी होती है। बहते रक्त... Hindi · कविता 1 252 Share Manisha Manjari 3 Mar 2023 · 1 min read अपनेपन का मुखौटा मुखौटों के बाज़ार में, वो खुद को बेच आते हैं, इतने चेहरे एक शख्सियत में, जाने कहाँ से वो लाते हैं। मुस्कान ओढ़े दहलीज पर, तुम्हारे चले आते हैं, और... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 327 Share Manisha Manjari 8 Oct 2022 · 1 min read अपने नाम का भी एक पन्ना, ज़िन्दगी की सौग़ात कर आते हैं। कभी-कभी सपने भी, आँखों के कसूरवार बन जाते हैं, जब इंद्रधनुषी रंगों से, कोरे मन की सतह को रंग जाते हैं। क़दमों से जमीं छीन, बादलों का पंख दे भरमाते... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी 8 8 296 Share Manisha Manjari 3 Mar 2023 · 1 min read आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं, आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं, वीरान पड़े उस मंदिर में ज्योत, जीवन की जला जाती है। छंट जाते हैं बादल, तन्हाई के कुछ इस कदर,... Hindi · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 1 323 Share Manisha Manjari 18 Oct 2022 · 1 min read हाथों को मंदिर में नहीं, मरघट में जोड़ गयी वो। क्रोध से हार, आज मौन को तोड़ गयी वो, शब्दों में स्वयं के, अथाह विष को घोल गयी वो। आज फिर दर्द का, ऐसा बवंडर सा उठा, की अपने हीं... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · क्रोध · मनीषा मंजरी 8 4 436 Share Manisha Manjari 26 Mar 2022 · 1 min read मन की भ्रांतियाँ मन की भ्रांतियाँ टूट चुकीं अब, कहने को कुछ बचा ना था। शब्द मौन हो चुके थे ऐसे, साँसों का भी पता ना था। फूल हो तुम मेरी बगिया की,... Hindi · कविता 1 2 241 Share Manisha Manjari 20 Jul 2022 · 1 min read अनवरत सी चलती जिंदगी और भागते हमारे कदम। अनवरत सी चलती जिंदगी और भागते हमारे कदम, एक दुजे से आगे निकल जाने को, करते हैं कितने जतन। पता है जाने को उस पार, चलानी होगी खुद की पतवार,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 2 2 267 Share Manisha Manjari 14 Sep 2022 · 1 min read जब हवाएँ तेरे शहर से होकर आती हैं। कुछ खुशबुएँ साँसों को महका कर जाती हैं, जब हवाएं तेरे शहर से होकर आती हैं। यादों के बंद कमरों में सेंधमारी कर जाती हैं, और सिमटे हुए दर्दों को... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 5 4 277 Share Manisha Manjari 26 Nov 2022 · 1 min read सृष्टि के रहस्य सादगी में बसा करते है, और आडंबरों फंस कर, हम इस रूह को फ़ना करते हैं। कुछ तूफां किनारों पर नज़र रखते हैं, साथ चलते हैं समंदर में, पर साहिलों पर असर करते हैं। लक़ीरें हाथों की भी तो, तां-उम्र साथ चलती है, फिर क्यों ख़्वाहिशें,... Hindi · Daily Writing Challenge · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · मनीषा मंजरी · रहस्य 3 320 Share Manisha Manjari 8 Dec 2022 · 1 min read सुबह की किरणों ने, क्षितिज़ को रौशन किया कुछ ऐसे, मद्धम होती साँसों पर, संजीवनी का असर हुआ हो जैसे। चलने लगे हैं, वो कदम मेरे साथ कुछ ऐसे, की लहरों का अस्तित्व जुड़ा हो, सागर के नाम से जैसे। अँधेरे की इनायतें हुईं हैं, किस्मत की लक़ीरों पर ऐसे,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 2 287 Share Manisha Manjari 22 Oct 2022 · 1 min read जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है। ये वक़्त जाने क्यों, खुद को दोहराने लगा है, भूली-बिसरी सदाओं को, नए आवाज में गाने लगा है। जिन वादियों में, खुद को खोया था कभी, जाने क्यों वही मंज़र,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 8 10 276 Share Manisha Manjari 1 Dec 2022 · 1 min read नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है? नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है? उमीदों की कश्ती के आगे तूफ़ान फिर वही है, पर इस बार पतवार... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 3 4 441 Share Manisha Manjari 5 Nov 2022 · 1 min read रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है। अंतर्मन की संवेदनाएं, मूक दर्शक बन रह जाती है, आस्था संचित ज्योति को, शीतल पवन छल जाती है। पथ हीं पथिक की आशाओं को, मार्ग में यूँ भटकाती है, गंतव्यों... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 2 316 Share Manisha Manjari 4 Sep 2022 · 1 min read खामोशियों ने हीं शब्दों से संवारा है मुझे। उस भीड़ से ज्यादा इस तन्हाई ने संभाला है मुझे, दिन के उजालों ने नहीं, रात के अंधेरों ने निखारा है मुझे। सितारों का अपना तो, मैं कभी बन ना... Hindi · Hindi Poem · Hindi Poetry · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 4 4 259 Share Manisha Manjari 24 Nov 2022 · 1 min read सपने जब पलकों से मिलकर नींदें चुराती हैं, मुश्किल ख़्वाबों को भी, हक़ीक़त बनाकर दिखाती हैं। वो रौशनी जो अंधेरों से छन कर आती है, रूह को सुकून की सौग़ात देकर जाती है। बारिशों के इंतज़ार में जब आँखें पथराती हैं, तभी तो बूँदें भी कोपलों... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी · मनीषा मंजरी 3 2 290 Share Manisha Manjari 21 Sep 2022 · 1 min read लाखों सवाल करता वो मौन। उम्र का अंतिम पड़ाव, कुछ घरों को, मौन किलकारियां सुना जाता है। जब बेबस सी उन आँखों से, ख्वाब हीं नहीं, यादें भी वक्त चुरा ले जाता है। पग ठहरते... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · Manishamanjari · कविता 4 5 252 Share Manisha Manjari 3 Nov 2022 · 1 min read ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है, फिर नये शब्दों का सृजन कर, हमारे ज़हन को सजा जाती है। मंज़िलों की तलाश में, अक्सरहां ज़िन्दगी गुम सी जाती है, खुद के अक्स को भी, पहचानने से ये कतराती है। लम्हों की साजिशें, जिंदगी को यूँ उलझाती हैं, कि कतरा-कतरा... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी · मनीषा मंजरी 7 5 294 Share Manisha Manjari 30 Dec 2022 · 1 min read सम्मान ने अपनी आन की रक्षा में शस्त्र उठाया है, लो बना सारथी कृष्णा फिर से, और रण फिर सज कर आया है। टूटे-टूटे टुकड़ों को समेट, खुद को फिर बचाया है, वक़्त ने दर्द के आग़ोश में डुबो कर आजमाया है। समंदर का भ्रम दिखा, तपती रेत ने यूँ जलाया है, तक़दीर... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 300 Share Manisha Manjari 10 Apr 2023 · 1 min read निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा। कर्त्तव्य पथ पर अडिग हूँ मैं, और रणक्षेत्र वो सज़ा रहा, विप्लव तान के बीच फंसी, और शंखनाद से वो बुला रहा। कभी भेदा था, जिसने हृदय को, वही भेदी... Hindi · Book 2 · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 305 Share Manisha Manjari 15 Jan 2023 · 1 min read कट कर जो क्षितिज की हो चुकी, उसे मांझे से बाँध क्या उड़ा सकेंगे? किनारे छोड़ आये थे, कि अनंत तक बहा करेंगे, सुकून की तलाश में, कब तक रूह को फ़ना करेंगे? बंजरों ने तबाही ला हीं दी, फिर हुई बारिश का क्या... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 3 280 Share Manisha Manjari 19 Jan 2023 · 1 min read कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया। कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया। कभी तो हल्की बातों से भी मन भर जाता था, और हादसों ने हसीं... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 1 283 Share Manisha Manjari 29 May 2023 · 1 min read तो मेरे साथ चलो। इन सुनहरे उजालों के साये बनने, तो कई चले आएंगे, जो तुम अंधेरों में भी हमसाया बन सको, तो मेरे साथ चलो। बातों का क्या है, बातें तो ख़त्म हो... Poetry Writing Challenge · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 404 Share Manisha Manjari 8 Jan 2023 · 1 min read सवाल में ज़िन्दगी के आयाम नए वो दिखाते हैं, और जवाब में वैराग्य की राह में हमें भटकाते हैं। बिखरते हैं लम्हें, तो ख़्वाब भी रुलाते हैं, झलक खुशियों की दिखाकर, वो अँधेरे लौट आते हैं। दुआएं सलामती की, जिसके लिए मांगे जाते हैं, वही अपनों के बीच, हमें... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 283 Share Manisha Manjari 31 Jan 2023 · 1 min read ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं। शब्दों के इस भीड़ में, भाषा आँखों की तिरस्कृत हो गयी, शोर करती रहीं धड़कनें, माला साँसों की खंडित हो गयी। ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 253 Share Manisha Manjari 9 Mar 2023 · 1 min read हमसाया क्यों लहरों से मेरी, आकर तू टकराता है, मैं तो टूटती हीं हूँ, साथ मेरे तू भी टूट जाता है। रूठी सबसे हूँ मैं, क्यों तू हीं आकर मनाता है,... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 302 Share Manisha Manjari 16 Oct 2022 · 1 min read गंतव्यों पर पहुँच कर भी, यात्रा उसकी नहीं थमती है। उसकी खामोशियाँ शब्दों से कहीं ज्यादा बोला करती हैं, हृदय में छिपे रहस्यों को बस आँखों से खोला करती हैं। भावशून्यता का लिहाफ़ ओढ़े, वो अंधेरों से विचरती है, कहीं... Hindi · Featuring In The Upcoming Nove · Hindi Poem · Hindi Poetry · कविता · मनीषा मंजरी 3 2 255 Share Manisha Manjari 15 Oct 2022 · 1 min read उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स दिखाया है। इस एहसास ने अरसे बाद मुझको रुलाया है, कि तेरी यादों के सिवा, कुछ और भी ज़हन में आया है। उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स... Hindi · Hindi Poetry · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · जिंदगी · मनीषा मंजरी 4 2 223 Share Manisha Manjari 12 Nov 2022 · 1 min read जज़्बातों की धुंध, जब दिलों को देगा देती है, मेरे कलम की क़िस्मत को, शब्दों की दुआ देती है। वो लहरें जो किनारों से मिल, खुद को मौत की सज़ा देती हैं, कभी-कभी सागर का साथ पा, साहिलों को डूबा देती हैं। नींद की आगोश, जो हर दर्द को... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी · मनीषा मंजरी 4 4 229 Share Manisha Manjari 28 Nov 2022 · 1 min read जानती हूँ मैं की हर बार तुझे लौट कर आना है, पर बता कर जाया कर, तेरी फ़िक्र पर हमें भी अपना हक़ आजमाना है। ये बारिशें जो नज़ारों को धुंधला कर जाती हैं, मुझसे पूछे बिना हीं, मेरी आँखों से टकराती हैं। मेरे सुकून के हक़ में, तू छिपाता है बातें कई, पर तेरे... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 5 242 Share Manisha Manjari 24 May 2023 · 1 min read सजदे में झुकते तो हैं सर आज भी, पर मन्नतें मांगीं नहीं जातीं। सजदे में झुकते तो हैं सर आज भी, पर मन्नतें मांगीं नहीं जातीं, पलकों पर सपने ठहरे तो हैं, पर नींदों को हैं आँखें ठग जाती। मंज़िलें आँखें बिछा कर... Poetry Writing Challenge · Manisha Manjari · कविता · मनीषा मंजरी 1 342 Share Manisha Manjari 19 Oct 2022 · 1 min read दूरी रह ना सकी, उसकी नए आयामों के द्वारों से। अनवरत लड़ते रहे वो, खुद के अंधेरों से, जागे कई बार, फिर भी रहे दूर सवेरों से। भटकती राहें मिलती रहीं, हाथों की लकीरों से, चाहतें थी मरने की, पर... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · नए आयाम · मनीषा मंजरी 5 6 267 Share Manisha Manjari 16 Oct 2022 · 1 min read कुछ पन्ने बेवज़ह हीं आँखों के आगे खुल जाते हैं। कुछ पन्ने बेवज़ह हीं आँखों के आगे खुल जाते हैं, स्याही से उभरे, उन अल्फ़ाज़ों को हम बेमकसद सा पढ़ जाते हैं। जैसे कुछ बादल, बिना बरसे भी मौसम का... Hindi · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · जिंदगी · मनीषा मंजरी 5 2 266 Share Manisha Manjari 22 Oct 2022 · 1 min read ये अनुभवों की उपलब्धियां हीं तो, ज़िंदगी को सजातीं हैं। ये इच्छाओं की कतार, ज़िन्दगी को ऐसे मोड़ पर ले आती है, की ज़िन्दगी सुकून से जीने को, ज़िन्दगी हीं तरस जाती है। अपने दंश से ये, हर क्षण में... Hindi · Hindi Poem · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी · मनीषा मंजरी 7 6 216 Share Manisha Manjari 21 Jan 2023 · 1 min read बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन। तन्हा शामों की तारीफ़ ना बन, तकलीफें पसंद है मुझे, तू चैन की ताबीर ना बन। खामोश गीतों के लब्ज़ ना बन, दुआएं लगती नहीं मुझे, तू अनजाने में सही... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 1 270 Share Manisha Manjari 28 Feb 2023 · 1 min read नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं। नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं। दंश उन्होंने हीं दिए, जिन्होंने अपनेपन के... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · ज़िन्दगी · मनीषा मंजरी 219 Share Manisha Manjari 18 Nov 2022 · 1 min read निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है। आँखों के आगे जब सपने बिखरते नज़र आते हैं, तन्हाइयों में खुद के स्वर हीं सबसे ज्यादा सताते हैं। ये जहन कितना कुछ कहने को बेकरार होता है, पर हमें... Hindi · कविता · मनीषा मंजरी 4 2 204 Share Manisha Manjari 4 Mar 2023 · 1 min read कुछ खामोशियाँ तुम ले आना। कर्त्तव्य रिश्ते का कुछ इस कदर निभाना, कि प्रकाश के उस दरिया को, लाँघ कर चले आना। सरल नहीं है, इस अविश्वनीय दूरी को मिटाना, पर त्याग आऊंगी ये संसार... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 206 Share Manisha Manjari 25 Nov 2022 · 1 min read क्यों बीते कल की स्याही, आज के पन्नों पर छीटें उड़ाती है। क्यों बीते कल की स्याही, आज के पन्नों पर छीटें उड़ाती है, बड़ी मुश्किल से आये जो पल, उन पलों को नज़र लगाती है। वो आँसू जो आँखों को छोड़... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 1 200 Share Manisha Manjari 2 Mar 2023 · 1 min read आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर। आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर। कदम उठते थे जिसके, सिर्फ उँगलियाँ मेरी धड़कर, देखा नहीं एक बार... Hindi · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · परिवार · मनीषा मंजरी · माँ 2 234 Share Manisha Manjari 28 Dec 2022 · 1 min read निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं। निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं। यूँ तो लिबास में वो, अपनों के छुप कर आते हैं, पर... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 206 Share Manisha Manjari 19 Dec 2022 · 1 min read हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है। ये उलझने जो सुलझने से कतराती हैं, हर पल एक नयी पहेली साथ लाती है। हम अतीत के पन्नों को पलटते रह जाते हैं, और ज़िन्दगी एक नयी कहानी हीं... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · जिंदगी · मनीषा मंजरी 4 4 197 Share Manisha Manjari 22 Dec 2022 · 1 min read दिल के टूटने की सदाओं से वादियों को गुंजाती हैं, क्यूँकि खुशियाँ कहाँ मेरे मुक़द्दर को रास आती है। कभी लबों पे दुआएं आने से डर जाती हैं, जैसे रात सुबह की आहट से थम जाती है। तुझे पाने की आरज़ू, सुकूं साँसों में लाती है, पर हक़ीक़त में... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · दर्द · मनीषा मंजरी 3 221 Share Manisha Manjari 10 Nov 2022 · 1 min read कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली। कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली। सपने तो उन आँखों में कभी आ ना सके, वो तो अपनी नींद भी, किसी की... Hindi · Daily Writing Challenge · Manisha Manjari · कविता · त्याग · मनीषा मंजरी 6 6 178 Share Manisha Manjari 7 Mar 2023 · 1 min read कोरा रंग लाख रंग फैले हैं फ़िज़ाओं में, पर रंग मुझपर कोई चढ़ता नहीं है, तेरे कोरे रंग में रंगी हूँ इस तरह, की रंग मुझपर से तेरा उतरता नहीं है। तन... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी · होली 1 328 Share Manisha Manjari 14 Jul 2023 · 1 min read तेरी वापसी के सवाल पर, ख़ामोशी भी खामोश हो जाती है। आहटें तेरी यादों की, यूँ बेमक़सद सी चली आती हैं, की नींदें आँखों में, अब बस बेवफ़ाई हीं लिख पाती हैं। सुखे पत्तों की सिलवटों की, आवाज़ें जो कानों से... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 3 2 461 Share Manisha Manjari 11 Dec 2022 · 1 min read सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी। सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमी थी। घरौंदे में रेत की बुनियाद थी, बस... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 3 2 269 Share Manisha Manjari 3 Nov 2022 · 1 min read ये दुनिया इश्क़ को, अनगिनत नामों से बुलाती है, उसकी पाकीज़गी के फ़ैसले, भी खुद हीं सुना जाती है। कुछ इल्तेजायें, आख़री पन्नों तक गुनगुनाती हैं, अपनी क़िस्मत, को हर पड़ाव पर आज़माती हैं। कभी रूह को, सुकून की नज़र कर जाती हैं, तो कभी हर एहसास को, खाक... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 4 6 191 Share Manisha Manjari 9 Jan 2023 · 1 min read दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है। वो वक़्त लौट आया है, जिससे कभी खुद को बचाया है, रौशनी के लिहाफ़ में लिपटकर, अँधेरा फ़िर मुस्कुराया है। शिकायत की थी पलों की, लो इल्ज़ामों का मौसम आया... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · दर्द · मनीषा मंजरी 2 180 Share Manisha Manjari 14 Jul 2023 · 1 min read अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था। संघर्ष भरी उस यात्रा का, हर पड़ाव हीं अनजाना था, शोलों और काँटों पर, नंगे पगों को चलते जाना था। आरम्भ हुआ एक युद्ध, जिससे सम्मान का ताना-बाना था, मिथ्या... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 5 5 297 Share Manisha Manjari 27 Dec 2022 · 1 min read जो रूठ गए तुमसे, तो क्या मना पाओगे, ज़ख्मों पर हमारे मरहम लगा पाओगे? जो रूठ गए तुमसे, तो क्या मना पाओगे, ज़ख्मों पर हमारे मरहम लगा पाओगे? पलों से नहीं, सदियों से जोड़ा है तुम्हें, वक़्त की आँच में, मेरे साथ जल पाओगे?... Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी 2 1 238 Share Previous Page 2 Next