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आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
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अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
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लक्ष्मी सिंह
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