Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2022 · 1 min read

निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।

निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं,
भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
यूँ तो लिबास में वो, अपनों के छुप कर आते हैं,
पर घाव दुश्मन से भी, बदतर देकर जाते हैं।
चाशनी में डूबी कड़वी बातें, सुनाने वो चले आते हैं,
अपना बनकर, अपनों को हीं वो छल जाते हैं।
हो अँधेरा तो तुम्हारी राह, वो और भी भटकाते हैं,
और अपमान में तुम्हारी, जाने कैसी ख़ुशी वो पाते हैं।
दो चेहरों का स्वांग रचा घर में, तुम्हारे वो चले आते हैं,
एक हाथ से पोछते हैं आंसू, और दूसरे से क़त्ल भी कर जाते हैं।
परायों से मिलकर षड्यंत्रों का जाल बिछाते हैं,
और घावों को सहलाकर खुद को सगा भी बताते हैं।
अतीत की चिंगारियों पर हाथ सेंक जाते हैं,
और खुद के भविष्य की कामना पर गर्व जताते हैं।
हम मुस्कुराकर, खामोशी से दो चेहरे उनके पढ़ते जाते हैं,
और वो शब्दों का स्वांग रचा खुद में इठला जाते हैं।

2 Likes · 200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
"मित्रता और मैत्री"
Dr. Kishan tandon kranti
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
विपक्ष से सवाल
विपक्ष से सवाल
Shekhar Chandra Mitra
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
वो सारी खुशियां एक तरफ लेकिन तुम्हारे जाने का गम एक तरफ लेकि
वो सारी खुशियां एक तरफ लेकिन तुम्हारे जाने का गम एक तरफ लेकि
★ IPS KAMAL THAKUR ★
कौन कितने पानी में
कौन कितने पानी में
Mukesh Jeevanand
शौक़ इनका भी
शौक़ इनका भी
Dr fauzia Naseem shad
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
स्वयं को तुम सम्मान दो
स्वयं को तुम सम्मान दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हरितालिका तीज
हरितालिका तीज
Mukesh Kumar Sonkar
इश्क़—ए—काशी
इश्क़—ए—काशी
Astuti Kumari
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
समय और मौसम सदा ही बदलते रहते हैं।इसलिए स्वयं को भी बदलने की
समय और मौसम सदा ही बदलते रहते हैं।इसलिए स्वयं को भी बदलने की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्रेम
प्रेम
Prakash Chandra
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वृक्ष बन जाओगे
वृक्ष बन जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"परिवार एक सुखद यात्रा"
Ekta chitrangini
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
कार्तिक नितिन शर्मा
मछलियां, नदियां और मनुष्य / मुसाफ़िर बैठा
मछलियां, नदियां और मनुष्य / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ख्वाइश है …पार्ट -१
ख्वाइश है …पार्ट -१
Vivek Mishra
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
आर.एस. 'प्रीतम'
#एक_सराहनीय_पहल
#एक_सराहनीय_पहल
*Author प्रणय प्रभात*
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
शेखर सिंह
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
Surinder blackpen
उनको देखा तो हुआ,
उनको देखा तो हुआ,
sushil sarna
जाना जग से कब भला , पाया कोई रोक (कुंडलिया)*
जाना जग से कब भला , पाया कोई रोक (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुरझाए चेहरे फिर खिलेंगे, तू वक्त तो दे उसे
मुरझाए चेहरे फिर खिलेंगे, तू वक्त तो दे उसे
Chandra Kanta Shaw
Loading...