Posts साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता 151 authors · 340 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Shailendra Aseem 27 Jul 2021 · 5 min read लकीरें कॉलेज में दाखिले का पहला दिन था। छात्र-छात्राओं और अभिभावकों की भीड़ को देख कर अनायास ही किसी बड़े रेलवे स्टेशन की याद आ रही थी। इसी भीड़ में एक... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 269 Share Romi Kapoor 27 Jul 2021 · 6 min read आईना " आईना " "मालू कहां हो तुम ?" बाहर से ही मालती की बचपन की सहेली दीपा ने आवाज़ देते हुए दरवाज़े पर दस्तक दी लेकिन दरवाज़ा खुला ही पाया।... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 218 Share Pt Sarvesh Yadav 27 Jul 2021 · 4 min read छत्तर की बेटी छत्तर की बेटी गाँव का एक युवा किसान, अपनी पत्नी एक बूढ़ी माँ ,बेटा सुन्नर के साथ सुख चैन से जीवन यापन कर रहा होता है।लड़की की चाहत में फुलेनवा(किसान... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 10 599 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 27 Jul 2021 · 6 min read भरोसा – कहानी भरोसा – कहानी विकास गुप्ता एक कपड़े के व्यापारी हैं बाज़ार में इनकी एक कपड़े की बड़ी सी दुकान है | परिवार खुशहाल और समृद्ध है | माता - पिता... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 18 28 1k Share Jayanti Prasad Sharma 26 Jul 2021 · 4 min read लाग-डाट ठाकुर हीरा सिंह और ठाकुर तेज सिंह दोनों सगे भाई थे लेकिन उनमें दुश्मनी किन्हीं परंपरागत दुश्मनों जैसी थी। दोनों एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते थे। अगर कभी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 6 487 Share Sapna Arora 26 Jul 2021 · 2 min read “माली की बग़िया” “माली की बगिया” माली एक दिन अपनी कुटिया के आँगन में बैठा सोच रहा था,क्या सींच पाऊँगा अपनी बगिया? मिट्टी की मीठी सी खूशबू का आनंद लेते हुए मन को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 541 Share Seema gupta,Alwar 26 Jul 2021 · 4 min read -चाॅकलेटी खुशी रागिनी सरकारी अध्यापिका थी। उसके घर मैं उसके सास-ससुर और जेठ -जेठानी उनके दो बच्चे व एक बेटी थी रागिनी और राघव की। उसकी सास और ससुर को बहुओं को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 3 485 Share Ranjana Verma 25 Jul 2021 · 2 min read समर्पण विधा-लघु कथा शिर्षकः समर्पण जैसे ही उसके आँगन में पैर रखा ऐसा जान पड़ा मानो घने सन्नाटों की छाया मंडरा रही हो। मैंने पूछा....चाची कहाँ है संध्या ? चाची ने... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 6 634 Share Shashi kala vyas 25 Jul 2021 · 3 min read *"मोलभाव"* *"मोलभाव"* सुमन बारिश के मौसम में भींगते हुए सब्जी ले रही थी एक हाथ में छतरी दूसरे हाथ में थैला व पर्स रखी हुई थी।सब्जी लेकर लौटते समय ताजे भुट्टे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 1 612 Share Shashi kala vyas 25 Jul 2021 · 5 min read *"गुरु दीक्षा"* *"गुरु दीक्षा"* सुल्तानपुर आश्रम में हर साल गुरु महाराज जी गुरु पूर्णिमा पर्व पर आते ,तीन दिन रुकते प्रवचन सत्संग करते हुए गुरु दीक्षा देकर वापस अपने आश्रम लौट जाते... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 827 Share Rajshree Gaur 25 Jul 2021 · 3 min read * सुहानी साँझ* * सुहानी साँझ* खाँसी के कारण नींद नहीं आ रही थी, तो बिस्तर से उठ कर लीविंग रूम में चहल-कदमी करने लगे। महानगर में वो खुले खुले दालान, सेहन कहाँ... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 6 411 Share Rajshree Gaur 25 Jul 2021 · 2 min read "काल के कोमल हाथ" "काल के कोमल हाथ" अपने प्रिय नेता को देखने जन सैलाव उमड़ पड़ा था। जनता को सिर्फ आधा घंटा ही इंतजार करना पड़ा। नेता जी सपरिवार अपने छुटभैयों के साथ... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 283 Share Rajshree Gaur 25 Jul 2021 · 4 min read "वो शराबी " "वो शराबी " गाड़ी में तीन सीट वाली जगह पर चारों लड़कियाँ बैठ गई थीं। मैं ड्राईवर के साथ वाली सीट पर आगे बैठ गया था। विवाह समारोह से लौटते... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 428 Share Rajshree Gaur 25 Jul 2021 · 2 min read *जमीर जिन्दा है* *जमीर जिन्दा है* शर्मा जी जब भी दफ्तर में जाते डिप्टी डायरेक्टर से लेकर हैड़ क्लर्क, क्लर्क तक छोटे बड़े सब एक कतार में बैठे नजर आते। क्लर्क से बात... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 315 Share Rajshree Gaur 25 Jul 2021 · 3 min read *अभिशप्त* *अभिशप्त* उसकी सास के मन में जरा भी ममता न थी। वह उनके ताने, उपेक्षा व अपमान के कड़वे घूंट पीती रहती। पोते की ख़्वाहिश ने लीलावती जी को बहु... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 695 Share Jayanti Prasad Sharma 25 Jul 2021 · 3 min read गुरुवाणी एक महात्मा के साथ उनका एक शिष्य रहता था। वह बड़ी श्रद्धा और लगन से गुरु की सेवा करता था। एक दिन गुरु ने शिष्य से कहा कि वह बस्ती... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 5 385 Share आचार्य सदानन्द पाल 25 Jul 2021 · 1 min read इश्क-मिचौली बिजुलिया घर-परिवार में एक पत्नी को पति के समकक्ष बराबरी का दर्ज़ा हासिल नहीं है, यहाँ तक दोनों हमउम्र के नहीं होते ! महिलाओं को पुरुषवादी सोच से बाहर आने होंगे,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 319 Share Rajni kapoor 25 Jul 2021 · 4 min read डोली से शमशान तक डोली से शमशान तक शादी एक ऐसा बंधन है, एक ऐसा नाम है; जिसे सुनते ही हर कुंवारी लड़की के चेहरे पर लज्जा जा का भाव आ जाता है। शादी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 10 5 911 Share Shailendra Aseem 25 Jul 2021 · 3 min read महादैत्य चारों तरफ अन्धकार छाया हुआ था। बच्चे, महिलाएं, बूढ़े, जवान सभी चीत्कार कर रहे थे। कोई किसी की नहीं सुनता। सब इधर-उधर भागते, बेतहाशा खाँसते और अन्त में तड़पकर शान्त... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 2 418 Share Shobha Yadav 25 Jul 2021 · 2 min read नारीशक्ति कि मिशाल फूलन देवी आज मैं #किसानपुत्री_शोभा_यादव बात करूँगी एक साधारण नारी की जो बाद मे डकैत, सासंद , चंबल कि रानी ,और महिलाओं कि मिशाल बनी। सबसे पहले आज उस बिरंगाना को कोटि-कोटि... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 495 Share सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life) 25 Jul 2021 · 32 min read कलयुग का हलाहल मृदुला , मेरु को स्टील के मग में चाय देती हुई पूछती है ," जान तबियत ज्यादा खराब है तो मैं आज शाम की भी छुट्टी कर लेती हूँ "..?... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 6 450 Share शरद कुमार पाठक 25 Jul 2021 · 1 min read *कहानी घर की-! आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज कुटम परिवार की एक पेड़ की दो शाखाएं फूले फले परिवार की स्नेह भरा संयुक्त कुटुम आँगन के गुन्जार की आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 442 Share विवेक जोशी ”जोश” 25 Jul 2021 · 4 min read ”घर का नाैला ” पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के दुष्कर जीवन से कौन परिचित नहीं। किंतु फिर भी शिवदत्त को अपने पैतृक गांव ”धुनौली” से बहुत लगाव है। शिवदत्त के परिवार में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 4 710 Share Buddha Prakash 25 Jul 2021 · 5 min read उम्मीद के सहारे प्रतिदिन की तरह आज भी वह सूर्योदय होने से पहले उठी। दो-तीन बार की कोशिशों के बाद दीया- सलाई से दीपक को जलाया। दीपक की टिमटिमाती रोशनी से वह इधर-उधर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 7 4 834 Share Ram Krishan Rastogi 24 Jul 2021 · 6 min read मासूम शिव भक्त – एक सच्ची कहानी शंकर एक अनाथ लड़का था। उसको जंगल में रहने वाले शिकारियों के एक गिरोह ने पाला था। उसके पास कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं थी – वह केवल एक चीज... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 23 28 7k Share Santosh Shrivastava 24 Jul 2021 · 2 min read प्यारा बच्चा सुमि सुबह उठ कर रो रही थी । उसके सुबह सुबह रोने से सब परेशान हो रहे थे । एक दिन सुमि की माँ संगीता ने पूछा : ” बेटी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 3 488 Share सुरेखा कादियान 'सृजना' 24 Jul 2021 · 22 min read "उसने मुझे बख़्श दिया" आज नए ऑफिस में शिवानी का पहला दिन है। साड़ी की प्लीट्स ठीक करते हुए, आईने के सामने ख़ुद को एक दौड़ती सी निगाह से निहारकर वह ऑफिस के लिए... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 576 Share Devender Kumar Dahiya 24 Jul 2021 · 19 min read छुटकी वैशाख की दुपहरी का चढ़ता सूरज नभ शिखर को छूने को आतुर था, यद्यपि वृद्ध नीम के पेड़ों का जोड़ा, गदराया शीशम का दरख़्त और वैभव से झुका हुआ शहतूत... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 583 Share Shailendra Aseem 23 Jul 2021 · 6 min read अन्तर्द्वन्द्व आज वह फिर उदास बैठा था। उसके चारों ओर प्रकृति का मनमोहक सुन्दरतम रूप अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित था। कभी नदी की कल-कल ध्वनि किसी मधुर संगीत का... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 6 406 Share डी. के. निवातिया 23 Jul 2021 · 5 min read दिखावे की रस्म - डी. के. निवातिया {{ दिखावे की रस्म }} आज घर में बड़ी चहल पहल थी I और हो भी क्यों न ! घर में मेहमान जो आने वाले थे, वो भी घर की... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 497 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read मानव धर्म मानव धर्म महिमा के ऊपर आजकल काम का बोझ बढ़ गया था l क्योंकि कामवाली बाई को भी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण उसने छुट्टी दे रखी थी l... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 2 539 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read रक्तदान शीर्षक - रक्तदान सतीश ने अख़बार एक किनारे रखा l उसके मष्तिष्क को आज के अख़बार में छपी याचना उद्वेलित कर रही थी l दुर्घटना में घायल एक नौजवान जीवन... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 301 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read ऐसी भी माँ होती हैं मोनिका दरवाजे की घण्टी की आवाज से जगी, दरवाजा खोला तो देखा उसकी पड़ोसन मीना खड़ी है l "मोनिका मैं दो दिन के लिए बाहर जा रही हुँ मेरे पीछे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 268 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 11 min read चन्द्रिका शीर्षक चन्द्रिका --------------------------- चंद्रिका यथा नाम तथा गुण l सच वह बिल्कुल चंद्रकिरण सी ही खूबसूरत थी l दूधिया गोरा रंग, लंबाई साढ़े पाँच फीट से किसी भी हालत में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 428 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 7 min read यशोदा माँ यशोदा माँ -------------------- विमला आज सुबह से ही बहुत उदास है किसी कार्य में उसका मन नहीं लग रहा था किसी प्रकार उसने अपने घरेलू कार्य इसी मनःस्थिति में निबटाये... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 371 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read जीवनदायिनी अक्टूबर का महीना.. सोमवार की व्यस्ततम दोपहर............ रविवार का दूसरा दिन यानि सारी दुनिया अपने-अपने कार्य क्षेत्र के मकड़जाल में उलझी हुई......... मौसम में हल्की सर्द आहट... सैर सपाटे के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 462 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read ज्वारभाटा सुमि बेजान-सी चहलकदमी कर रही है। नींद तो मानों उसकी आँखों से कोसों दूर थी आज........ और आती भी कैसे...... अल सुबह निर्णय जो हो जाना था। सुयश बीच-बीच में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 369 Share आलोक पांडेय 22 Jul 2021 · 2 min read पिता का दर्द डॉक्टर रमेश बलिया शहर के जाने-माने डॉक्टरों में से एक थे। उनके क्लीनिक पर हमेशा मरीज़ों की भीड़ लगी रहती थी। डॉक्टर रमेश 75 साल की उम्र में भी बहुत... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 670 Share शरद कुमार पाठक 22 Jul 2021 · 1 min read *खण्डहर-! क्या देखते हो इस खण्डहर को जो आज ये एक कहानी बनकर रह गया जो अपना बीता हुआ कल फिर से ढूंढ रहा है। ये विछिप्त प्राचीरें जिसमें बारीकता से... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 292 Share ओनिका सेतिया 'अनु ' 22 Jul 2021 · 2 min read भरपाई ‘’ बस अब बहुत हो चूका,अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता तुम सबने मुझे समझ क्या रखा है ? हैं ! क्या मैं कामवाली बाई हूँ , सेविका हूं क्या... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 10 469 Share Rajesh vyas 22 Jul 2021 · 2 min read काम बंद है _____ कहानी "जब से आई बीमारी ,जिंदगी कईयों की हारी। सामने हमारे ,आकर खड़ी हो गई यह बेरोजगारी।। अपने आंगन में रमेश कुछ इसी प्रकार से गुनगुना रहा होता है तभी उसके... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 4 487 Share Damini Narayan Singh 22 Jul 2021 · 1 min read "जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे" जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे बस जिंदगी की गुलाम थी~हसरतों से बहुत दुर पर आसमान के बहुत पास~ख्वाबों से इतना इश्क~हकीकत भी शरमा जाए...? उसे पता था बस एकबार... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 405 Share Pallavi Mishra 21 Jul 2021 · 11 min read बंटवारा "अम्मांजी जी नहीं रहीं"- जब एक हफ्ता पहले मुझे अपनी सास के निधन का यह अप्रिय समाचार सुनाया गया तो सहसा मेरे कानों को यकीन ही नहीं हुआ। मन बेहद... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 839 Share Ananya Pahari 21 Jul 2021 · 2 min read "तर्क हमेशा विद्यमान रहा है, किंतु तर्कसंगत रूप में नहीं" *तर्क हमेशा विद्यमान रहा है, किंतु तर्कसंगत रूप में नहीं* आइना बोल पड़ा "बहुत बदल गई हो तुम!" ऐसा लगा मानो कोई अतीत के अंधकार में धकेलने की कोशिश कर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 440 Share Namita Gupta 21 Jul 2021 · 7 min read बात उस रात की बात उस रात की डॉक्टर शशांक को हांसपिटल में आए हुए अभी हुए दो ही महीने हुए थे। उसी समय कोविड के मरीजों की तादाद भी बढ़ने लगी। डा. शशांक... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 3 630 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 4 min read भविष्य की परिकल्पना दलित बस्ती की परबतिया की तीन बेटियाँ हैं। वैसे परबतिया को सब कुर्सेला वाली ही कहते हैं। उसका घर वाला मने कि उसका पति है बेचन ऋषि। अब गाँव-घर में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 717 Share Vivek Ahuja 20 Jul 2021 · 4 min read उपहार कहानी : "उपहार" आज अचानक बैसाखी लाल के दरवाजे की घंटी बजी तो ,बैसाखी लाल ने अपनी छोटी बेटी रजनी को आवाज लगाई..... "बेटा देखो दरवाजे पर कौन है" रजनी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 507 Share Neetu gupta 20 Jul 2021 · 5 min read यह जिम्मेदारी हम मिलकर बांट लेंगे हर कामकाजी महिला को घर और ऑफिस दोनों जिम्मेदारी उठानी पड़ती है जो आसान काम नहीं है एक पुरुष सिर्फ अपना ऑफिस का काम कर कर ही थक जाता है... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 292 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 3 min read अपनी जिंदगी अपने तरीके पिछले दो सालों से दोनों बेटों के विदेश में सेटल होने के कारण 65 वर्षीय आनन्द एकाकी जीवन बिता रहे थे, क्योंकि पत्नी भी पंद्रह साल पहले ही स्वर्गवासी हो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 417 Share Devender Kumar Dahiya 20 Jul 2021 · 7 min read "कलयुग ' सन 2032, कलयुग अपनी चरम सीमा पर है। जहाँ मानव जीवन का 80% हिस्सा मशीनों पर निर्भर है। हथियार इंसान के लिए प्रमुख गैजेट्स मेँ सम्मिलित हो चुके है। विश्व... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 349 Share Previous Page 2 Next