Comments (8)
26 Jul 2021 03:40 PM
अति उत्तम! ✍ सुरेखा कादियान ‘सृजना’ ✍️ ⛳ जी….. बधाई!!
सुरेखा कादियान 'सृजना'
Author
31 Jul 2021 11:51 PM
जी शुक्रिया
24 Jul 2021 03:56 PM
बहुत बढ़िया।कृप्या आप मेरी कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दीजिए।धन्यवाद।
सुरेखा कादियान 'सृजना'
Author
24 Jul 2021 06:13 PM
जी शुक्रिया
24 Jul 2021 09:31 AM
?बेहतरीन कहानी, आदरणीया “सुरेखा जी”।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “मित्रता की बेल” का भी अवलोकन करने की कृपा करें एवं यदि उचित लगे तो अपनी टिप्पणी देकर कृतार्थ भी करें।
साभार।?
सुरेखा कादियान 'सृजना'
Author
24 Jul 2021 06:13 PM
जी आभार
अतिसुंदर भावपूर्ण कथा प्रस्तुति !
यह सत्य है, कि मनुष्य सारे संसार को धोखा दे सकता है , परंतु अपने अंतर्मन को कभी धोखा नहीं दे सकता , जो उसके किए कृत्यों के लिए उसे हमेशा कचोटता रहता है।
धन्यवाद !
जी बहुत शुक्रिया