Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2021 · 3 min read

रक्तदान

शीर्षक – रक्तदान

सतीश ने अख़बार एक किनारे रखा l उसके मष्तिष्क को आज के अख़बार में छपी याचना उद्वेलित कर रही थी l दुर्घटना में घायल एक नौजवान जीवन मृत्यु से सँघर्ष कर रहा था l “बी निगेटिव” रक्त की कम से कम दो यूनिट खून चाहिये था उसकी जान बचाने के लिये परन्तु वह मिल नहीं रहा था l मरीज के परिजनों के द्वारा आम जनों से इसी के लिये अपील की गई थी l सतीश की समझ में नहीं आ रहा था इसी अस्पताल में कल ही युवा मँच के सत्ताईस सदस्यों ने रक्तदान किया था जिसमे आठ लोगों का “बी निगेटिव” रक्त था क्या सारे समाप्त हो गये ?
कुछ सोचकर उसने अपील में दिये गये मोबाइल नंबर पर कॉल किया और अपना परिचय देते हुए स्थिति की जानकारी ली l पता चला एक यूनिट खून देने के बाद बदले में हॉस्पिटल से एक यूनिट खून मिला परन्तु अब वे लोग और खून नहीं होने की बात कहकर बाहर से लाने के लिए कह रहे हैं l लेकिन आसपास के किसी भी “ब्लड बैंक” में इस ग्रुप का खून नहीं है l
सतीश ने अपने युवा मँच के कुछ साथियों को लिया और अस्पताल चला साथ ही उसने अपने कई ग्रुप में रक्ततदान के लिए अपील भी डाल दी l कल “रक्त दान” किये कुछ साथियों ने ये भी कहा यदि आवश्यकता हुई तो हम दुबारा “रक्तदान” करेंगे l
अस्पताल पहुँच कर मरीज के परिजन से मुलाकत की; मरीज की स्थिति की जानकारी ली l मरीज की हालत तो चिन्ताजनक थी परन्तु उसके भाई ने कहा “अब उम्मीद है मेरा भाई बच जायेगा क्योंकि खून की व्यवस्था हो जा रही है”|
” कहाँ से” – पूछने पर पता चला वहीं एक व्यक्ति ने सम्पर्क कर कहा यदि वे एक यूनिट के लिये पाँच हजार रूपये खर्च करने को तैयार हैं तो वो दो क्या तीन-चार यूनिट की व्यवस्था कर देगा | “इसलिए अब चिन्ता नहीं है भैया” l सतीश के क्रोध का पारावार न रहा l वह अपने मित्रों के साथ हॉस्पिटल के “ब्लड बैंक” पहुँचा l वहाँ जाकर उसने इन्चार्ज से खून की उपलब्धता की जानकारी माँगी तो वह क्रोधित होकर बोला – “आप कौन होते हैं जिसे मैं विवरण दूँ | चलो निकलो आप वर्ना मैं अभी पुलिस बुलवाता हूँ “| कहकर उसने गार्ड को आदेश दिया सतीश को बाहर निकालने का l
अबतक सतीश के साथी भी वहाँ आ चुके थे l सतीश ने कहा -” अच्छा एक दिन में ही भूल गये l चूँकि हमने रक्तदान किया है इसलिए हमें पूरा अधिकार है जानने का कि हमारे दिये खून का उपयोग हो रहा है या दुरूपयोग l पुलिस की तो आप हमें धमकी ना ही दें तो अच्छा है वरना पुलिस हम ही बुला लेंगे l और बात तो आप सभ्य तरीके से करें वर्ना हम भी सभ्यता को छोड़ देंगे फिर आप हमें दोष मत देना”|
अब इन्चार्ज घबड़ाया उसने रजिस्टर इन्हें दे दिया l रजिस्टर से ज्ञात हुआ तीन यूनिट खून दिया जा चुका है l एक तो इसी घायल को और दो यूनिट दूसरे हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को l अभी पाँच यूनिट खून “बी निगेटिव” का बैंक में है l
सतीश ने कहा -” हम लोग मानवता के लिए “रक्तदान” करते हैं और आप उसे बेचते हो l छिः कितने घटिया हो आपलोग” |
अबतक इतना अधिक हँगामा हो गया था वहाँ l कई टी वी चैनल और अख़बार के रिपोर्टर भी आ पहुँचे थे l सतीश और उसके साथियों के सहयोग से घायल मरीज को आवश्यकता के अनुरूप खून मिल गया था l साथ ही अस्पताल के अधीक्षक एवँ ब्लड बैंक के इन्चार्ज ने एक लिखित समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये थे कि वे जिसे भी ब्लड देंगे उसकी पूरी विवरणी मँच को भी तुरन्त प्रेषित करेंगे ऑनलाइन l अब सतीश की युवा मँच की टीम निश्चिन्त थी कि मरीज की पूरी विवरणी तुरन्त मिल जाने से वे जाँच कर सन्तुष्ट हो सकते थे खून के उपयोग अथवा दुरुपयोग के सम्बन्ध में l

स्वरचित

निर्मला कर्ण

2 Likes · 1 Comment · 298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो अजनबी झोंका
वो अजनबी झोंका
Shyam Sundar Subramanian
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पैसा
पैसा
Sanjay ' शून्य'
Kya kahun ki kahne ko ab kuchh na raha,
Kya kahun ki kahne ko ab kuchh na raha,
Irfan khan
प्यार के मायने बदल गयें हैं
प्यार के मायने बदल गयें हैं
SHAMA PARVEEN
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er. Sanjay Shrivastava
विश्वास किसी पर इतना करो
विश्वास किसी पर इतना करो
नेताम आर सी
गौरेया (ताटंक छन्द)
गौरेया (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
सफलता
सफलता
Babli Jha
हवाओं ने पतझड़ में, साजिशों का सहारा लिया,
हवाओं ने पतझड़ में, साजिशों का सहारा लिया,
Manisha Manjari
पढ़ो और पढ़ाओ
पढ़ो और पढ़ाओ
VINOD CHAUHAN
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मज़हब नहीं सिखता बैर
मज़हब नहीं सिखता बैर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक दूसरे से बतियाएं
एक दूसरे से बतियाएं
surenderpal vaidya
आश किरण
आश किरण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
घनघोर इस अंधेरे में, वो उजाला कितना सफल होगा,
Sonam Pundir
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
जानबूझकर कभी जहर खाया नहीं जाता
सौरभ पाण्डेय
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
. inRaaton Ko Bhi Gajab Ka Pyar Ho Gaya Hai Mujhse
Ankita Patel
ठहराव सुकून है, कभी कभी, थोड़ा ठहर जाना तुम।
ठहराव सुकून है, कभी कभी, थोड़ा ठहर जाना तुम।
Monika Verma
आकाश के सितारों के साथ हैं
आकाश के सितारों के साथ हैं
Neeraj Agarwal
जवानी
जवानी
Bodhisatva kastooriya
पहले आदमी 10 लाख में
पहले आदमी 10 लाख में
*Author प्रणय प्रभात*
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
!!! सदा रखें मन प्रसन्न !!!
जगदीश लववंशी
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
राम
राम
umesh mehra
जिन्दगी ....
जिन्दगी ....
sushil sarna
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
Aish Sirmour
Loading...