Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 2 min read

18. तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है

तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है,
फिर न लौट कर इस दुनिया में आना है ।
बस अब बस बहुत हुआ,
अब किसी का भी चेहरा,
इस दिल में कभी नहीं बसाना है ।
तुम्हारी जिंदगी में अब मैं नहीं,
तुम्हारी जिंदगी में अब कोई और सही,
पर मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगी ।
मेरा अधूरा ख्वाब बनकर,
मेरे हमनशी, मेरे हमदम,
न कर मुझे याद करके,
मुझपर और एहसान,
ऐसा न हो मुझे पाने की तमन्ना में,
चली जाए तेरी जान ।
मैं भी कोशिश करूँगा तुझे भुल जाने की,
पर शायद मैं भुला न पाऊँ ।
तुम कोशिश न करना हमें भुलाने की,
बल्कि भुला ही देना हमें ।
तेरा दर भले ही मेरे लिए बंद हो जाए,
पर मेरा दर हमेशा खुला रहेगा तेरे लिए,
ये आजमा लेना ।
तेरे शरीर का भुखा नहीं हूँ मैं,
मैं तो प्रेम का प्यासा हूँ ।
जहाँ मिलेगा, जिससे मिलेगा,
पूरा समय, पूरा जीवन बीता दूँगा,
उस रहनुमा के साथ ।
मैं दौलत कमाने नहीं आया,
ना चाहत है हमें दौलत की,
मैं प्यार पाने आया हूँ,
मुझे जरूरत नहीं है किसी औरत की ।
प्यार मिला तो ठीक,
इस धरती के संग पूरी जिंदगी रहना है ।
ना मिला तो रब से गुजारिश बस यही कि,
मेरा ये मिट्टी का तन,
मिट्टी में मिला देना है ।
फिर तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है ।
और ना लौटकर कभी इस दुनिया में,
दोबारा वापस आना है ।।

कवि – मन मोहन कृष्ण
दिनांक – 30/08/2019
समय – 03 : 17 ( रात्रि )

Language: Hindi
154 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मासूम गुलाल (कुंडलिया)
मासूम गुलाल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
Neelam Sharma
*जो कहता है कहने दो*
*जो कहता है कहने दो*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*दिल कहता है*
*दिल कहता है*
Kavita Chouhan
हर रिश्ता
हर रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
*मंगलकामनाऐं*
*मंगलकामनाऐं*
*Author प्रणय प्रभात*
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बंद आंखें कर ये तेरा देखना।
बंद आंखें कर ये तेरा देखना।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
Trishika S Dhara
जिस के नज़र में पूरी दुनिया गलत है ?
जिस के नज़र में पूरी दुनिया गलत है ?
Sandeep Mishra
* धीरे धीरे *
* धीरे धीरे *
surenderpal vaidya
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अंतर्जाल यात्रा
अंतर्जाल यात्रा
Dr. Sunita Singh
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
Jay Dewangan
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एकाकी
एकाकी
Dr.Pratibha Prakash
*
*"बीजणा" v/s "बाजणा"* आभूषण
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
कब तक
कब तक
आर एस आघात
नशा
नशा
Ram Krishan Rastogi
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
मचलते  है  जब   दिल  फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
शार्टकट
शार्टकट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब होती हैं स्वार्थ की,
जब होती हैं स्वार्थ की,
sushil sarna
कहती जो तू प्यार से
कहती जो तू प्यार से
The_dk_poetry
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पूर्वार्थ
गाए जा, अरी बुलबुल
गाए जा, अरी बुलबुल
Shekhar Chandra Mitra
"दान"
Dr. Kishan tandon kranti
"आँगन की तुलसी"
Ekta chitrangini
Loading...