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15 Feb 2024 · 1 min read

*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*

डॉ अरूण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक_ अरूण अतृप्त

शीर्षक _ यौगिक क्रिया सा ये कवि दल

जीने को सभी जी लेते हैं
अपनी अपनी जिंदगी का अंश यहां।
कोई खाते पीते चला गया।
कोई रोते रोते सिमट गया।
किसी की भूख भी मिटती नहीं।
कोई असमंजस से बेकरार ।
कोई अति ज्ञान का जानकर।
प्रभु श्री की इस दुनियां में भाई ।
कैसे कहूं अदभुत क्षमता के कलमकार।
कोई छंद विधान से प्रेरित है।
कोई दोहे रचता सभी प्रकार ।
कोई काव्य मंजूषा में उलझा।
कोई टिप्पणी लिख रहा बेशुमार।
साहित्य सृजन हैं ये मतवाला।
मन आत्मा को शान्ति देने वाला।
कोई दिन भर उलझा लेखन में।
कविता संग्रह के प्रति समर्पित हो।
कोई समारोह में करता ट्रॉफी का अंगीकार।
कोई अंगवस्त्र से आभुषित संस्तृप्त हो जाता है।
कोई टोपी पहन कर ही थिरक रहा, और मुस्काता है
कोई कोई तो अदभुत प्रकृति में ही सिमट गया।
कोई समर्पित लेखन को आलेखों की करता है बात।
कोई यात्रा कर कर न थका दे दे संस्मरण अखबारों में।
देखो भाईयो तुम सा कवि
इस सदी में अब तो न जन्मेगा।
आने वाली पीढ़ी लाखों सालों तक
संभवता: इस पीढ़ी के फल,
अगले शत शह सालों तक चूसेगा।
जीने को सभी जी लेते हैं
अपनी अपनी जिंदगी का अंश यहां।
कोई खाते पीते चला गया।
कोई रोते रोते सिमट गया।

Language: Hindi
60 Views
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