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31 May 2017 · 1 min read

? वो माँ को ढूढ़ता रहा ?

? वो माँ को ढूढ़ता रहा ?
?दिनेश एल० “जैहिंद”

वो पत्थरों में ही खुदा को पूजता रहा ।
मोहब्बतों में उसकी वो डूबता रहा ।।

करता खुदा पर वो भरोसा बेहिसाब है,,
वो नज़रों से अब उसे ही घूरता रहा ।।

दिल उलझनों में है खुदा की दीद के लिए,,
वो पत्थरों की बुत में माँ को ढूँढता रहा ।।

बाहर निकल के वो जो बाँहों में उसे भरे,,
दिन-रात वो आशिक़ यही सब सोचता रहा ।।

दिल की लगी भी क्या लगी है बूझती नहीं,,
“जैहिंद” पगला आशिक़ी में भटकता रहा ।।

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
17. 05. 2017

185 Views

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