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18 Nov 2024 · 1 min read

जाति-मजहब और देश

हमारे ज़ेहन में वो दर्द कितने बो गए टुकड़े
न लौटे आजतक वापस जिगर के जो गए टुकड़े
खड़ी दीवार मत करना यहाँ तुम जाति-मज़हब की
इसी कारण कभी इस देश के थे हो गए टुकड़े

– आकाश महेशपुरी
दिनांक -15/11/2024

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