✍️राहे हमसफ़र✍️
✍️राहे हमसफ़र✍️
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जब भी कुछ बदल जाता है
वो कुछ अंजाना सा लगता है
जब रोज नजर में रहता है
फिर वो पुराना सा लगता है
ऐसा कोई हो हमनवां भी लगे
ए खुदा बता वो हमनशींसा रहता कहाँ है
मंझिल की तरफ रास्ता चलता है
पहुँचने से पहले ही क्यूँ मुड़ जाता है
नाकाम कदमो कौन यहाँ राह देता है
तन्हाई में तो सिर्फ साया ही जुड़ जाता है
कोई साथी हो तन्हा सफ़र मुक्कमल लगे
ए खुदा बता वो राहे हमसफ़र रहता कहाँ है
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✍️”अशांत”शेखर✍️
13/07/2022