Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 2 min read

*संवेदनाओं का अन्तर्घट*

ख़्वाबों और ख़्वाहिशों के अंतहीन प्यास में
आधुनिकता के रंगीन फ़रेबी मायाजाल में
धीरे धीरे छूटा जा रहा इंसानियत का साथ
मानव के हाथों से मानवीय संबंधों का हाथ !
क्या संवेदनाओं का अन्तर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव , प्रीत गया ?

महत्वकांक्षा की दौड़ में भाग रहे सब बेसबब
जीतने की होड़ में अपनी ही धुन में बेअदब
बेवजह पनप रहे लड़ाई झगड़े और फ़रियाद
नहीं अब वह भावनाओं की नमी और खाद !
क्या संवेदनाओं का अंतर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव ,प्रीत गया ?

शुष्कता से भरा आजकल का लोकव्यवहार
विस्मृत दिखते हैं सारे संस्कृति और संस्कार
दिखावे,नक़ल, नख़रों का संसार है लुभावना
लुप्त हो रही कहीं सहज अंतर्मन की भावना !
क्या संवेदनाओं का अन्तर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव , प्रीत गया ?

विलासिता पूर्ण भौतिकता संपन्न है जीवन
फिर भी उदास अवसादग्रस्त बहुतेरे का मन
संवादहीनता पसरी है शहर, गली और गाँव
मोबाइल की मृगमारिचिका खेल रही हर दांव !
क्या संवेदनाओं का अन्तर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव , प्रीत गया ?

सुविधाएँ अनेक पर समस्याओं का है अंबार
नौकरी की व्यस्त दिनचर्या में उलझा घरबार
एक दूसरे के लिए समय का बहुत है अभाव
पर सोशल मीडिया पर सभी से मधुर बर्ताव !
क्या संवेदनाओं का अन्तर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव , प्रीत गया ?

घड़ी की सुइयों पर चलता आधुनिक जीवन
मशीनी तकनीक के समान हुआ यंत्रवत मन
आत्मुग्धता में डूबे मनुष्य का‘अहम’है विशाल
अपने मतलब की सारी बातें लेता वह संभाल !
क्या संवेदनाओं का अन्तर्घट रीत गया ?
क्यों मन से मन का सद्भाव , प्रीत गया ?

1 Like · 30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम हँसते-हँसते रो बैठे
हम हँसते-हँसते रो बैठे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
gurudeenverma198
*मन के मीत किधर है*
*मन के मीत किधर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तेरे भीतर ही छिपा,
तेरे भीतर ही छिपा,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
Anil Mishra Prahari
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
Bidyadhar Mantry
हृद्-कामना....
हृद्-कामना....
डॉ.सीमा अग्रवाल
~ हमारे रक्षक~
~ हमारे रक्षक~
करन ''केसरा''
काँच और पत्थर
काँच और पत्थर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
SATPAL CHAUHAN
धरती का बेटा
धरती का बेटा
Prakash Chandra
"बताया नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
सुनी चेतना की नहीं,
सुनी चेतना की नहीं,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
स्कूल कॉलेज
स्कूल कॉलेज
RAKESH RAKESH
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
'समय की सीख'
'समय की सीख'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कजरी
कजरी
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
*देश का हिंदी दिवस, सबसे बड़ा त्यौहार है (गीत)*
*देश का हिंदी दिवस, सबसे बड़ा त्यौहार है (गीत)*
Ravi Prakash
नज्म- नजर मिला
नज्म- नजर मिला
Awadhesh Singh
निराकार परब्रह्म
निराकार परब्रह्म
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
2831. *पूर्णिका*
2831. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
Mahender Singh
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
चालें बहुत शतरंज की
चालें बहुत शतरंज की
surenderpal vaidya
एक ही तारनहारा
एक ही तारनहारा
Satish Srijan
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
रिश्ता एक ज़िम्मेदारी
रिश्ता एक ज़िम्मेदारी
Dr fauzia Naseem shad
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...