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19 Jun 2022 · 1 min read

✍️इंसान के पास अपना क्या था?✍️

✍️इंसान के पास अपना क्या था?✍️
…………………………………………………//
धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
ये धरती थी खुला आसमान था
इंसान सिर्फ यहाँ एक मेहमान था।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
ये चाँदतारे थे सूरज की रोशनी थी
इंसान की शुरू हो रही कहानी थी।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
मिट्टी,पत्थर थे ऊँचे ऊँचे पहाड़ थे
इंसान के प्राण बचाने तब ये पेड़ थे।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
झरने नदियां थी विस्तृत सागर था।
इंसान का पानी पर गुजर बसर था।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
वो आदम था,नस्ल हिपाजत करता था।
इंसान पंचतत्वों को ही निर्मिक पूजता था।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
पत्थर की सोच,पत्थर के औजार थे
इंसान खुद जिवित रहे यही रोजगार थे ।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
खेत खलियान थे मुट्ठीभर दाना था
इंसान को उसके हिस्से का खाना था।

धर्म और मज़हब से पहले
इंसान के पास अपना क्या था?
ना भय ,ना लालच ना खोने का डर था।
इंसान निश्चल निर्भय तृष्णामुक्त नर था।

लेकिन…
धर्म और मज़हब के बाद
इंसान के पास अपना सब कुछ था
जल,जमीं,जंगल और एक रणभूमि…!
फिर भी उसका अपना कुछ नहीं था
क्योंकि…
इंसान के पास धर्म के हथियार थे
और मज़हबी जंग थी….!
………………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
19/06/2022

2 Likes · 4 Comments · 234 Views
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