Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2024 · 1 min read

महाप्रयाण

माया , आसक्ति , काम, क्रोध , अहंकार ,
सब मानव निर्मित बंधन है ,

परोपकार , प्राणी मात्र से प्रेम, आत्मज्ञान , संवेदना , निर्विकार भाव,
सब मानव उत्थान के साधन है ,

जीवन एक भवसागर है ,
काया उसमें तरण करती हुई नौका है ,
जो समय के थपेड़ों को सहते हुए
आगे बढ़ती है ,

धैर्य की पतवार , आत्मविश्वास का संबल एवं दूरदृष्टि की सोच ,
इस नौका को अवसाद रूपी चट्टानों से
टकराकर मनोबल टूटकर बिखरने से बचाती है ,

नकारात्मक लहरों से सतत् सामना करने के लिए सकारात्मक सोच,
साहस संचरित कर षड्यंत्र रुपी भँवर में
नौका को डूबने से बचाती है ,

निस्पृह त्याग एवं बलिदान ,
मानव जीवन को सार्थक एवं श्रेष्ठ बनाकर ,
इस महाप्रयाण को सफल बनाती है।

2 Likes · 215 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

शिव भजन
शिव भजन
अभिनव अदम्य
।। मतदान करो ।।
।। मतदान करो ।।
Shivkumar barman
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
" चर्चा "
Dr. Kishan tandon kranti
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नाचेगा चढ़ आपके
नाचेगा चढ़ आपके
RAMESH SHARMA
डाॅ. राधाकृष्णन को शत-शत नमन
डाॅ. राधाकृष्णन को शत-शत नमन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हस्ती
हस्ती
seema sharma
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
नव रश्मियों में
नव रश्मियों में
surenderpal vaidya
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
Manisha Wandhare
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
Dushyant Kumar Patel
मां
मां
Sanjay ' शून्य'
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जिंदगी एक पहेली
जिंदगी एक पहेली
Surinder blackpen
नवरात्र में अम्बे मां
नवरात्र में अम्बे मां
Anamika Tiwari 'annpurna '
लगाव
लगाव
Kanchan verma
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Santosh Shrivastava
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
पलकों में ही रह गए,
पलकों में ही रह गए,
sushil sarna
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
जीने ना दिया
जीने ना दिया
dr rajmati Surana
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
बस यूँ ही
बस यूँ ही
sheema anmol
स्वर्णपरी🙏
स्वर्णपरी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...