प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
मां मैं तेरा नन्हा मुन्ना
बिन तेरे जिंदगी हमे न गंवारा है
नगीने कीमती भी आंसुओं जैसे बिखर जाते ,
"देखा था एक सपना, जो साकार हो गया ll
*यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता*
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
कई जिंदगियां महफूज़ रहती हैं,
काम चलता रहता निर्द्वंद्व