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16 May 2024 · 1 min read

मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान

मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान

हे मारूतिनंदन पवनपुत्र अंजनिलाला जय महावीर,

अर्चन , वंदन करूं अभिनंदन तेरा हाथ जोड़ मैं कोटि कोटि।

हे ज्ञान के सागर बजरंगी तेरी महिमा जग में निराली है,

रावण के गर्व को चूर किए तिहूं लोक में तू बलशाली है।

हे राम के प्यारे मात दुलारे अष्ट सिद्धि नव निधि दाता,

जो भक्त तुम्हे निज चित्त लाए, सारा जीवन वो सुख पाए।

हे लखन जियावन मंगलकर्ता विध्नविनाशक रुद्र रूप,

कलियुग में भी ले अवतार जग को करदे तू तार -तार।

सोने की लंका जलाया है कलियुग के पाप जला देना ,

महावीर दया इतना करना भवसागर पार करा देना।

अनामिका तिवारी’ अन्नपूर्णा ‘

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