।। यथार्थ ।।
छोटी छोटी खुशियों को,तू छोड़े आगे बढ़ जाए ।
सभी खुशियों को कल जिएंगे,ये कह कर निकल जाए।।
तो ये समझो की वो कल जिंदगी में किसके कब आया।
खुशी जो छोड़ आए हो वो आगे मिल नहीं पाया ।।
यही है जिंदगी और जिंदगी में होगे कल खुश हम ।
भटकते जा रहे हो और निराशा तुम उठा लाए ।।
ये क्षण बीतता है जो यही घंटे बनाता है ।
फिर उसके बाद एक एक दिन और एक एक साल आता है।।
पता भी चल ना पाएगा,और अंतिम क्षण में पहुंचोगे ।
जी लो जिंदगी अपनी नहीं तो सिर्फ तरसोगे ।।
✍️ प्रियंक उपाध्याय