होलिका दहन
हिरण्यकश्यप अभिमानी स्वयं को दैव कहlता था,!
पर उसके धर्मभीरु पुत्र प्रहलाद को को नहीं सुहाता था!!
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि देव से वर पाया था!
कभी अग्नि में नहीं जलेगी उसने ही यह भ्रम फ़ैलाया था !!
हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया प्रह्लाद को लेकर अग्निवरण करो!
होलिका ने राजन भाई आदेश का पालन किया!
होलिका ने लेकर भक्त प्रह्लाद अग्नि प्रवेश किया!!
होलिका भस्म हुई प्रहलाद बचे,देव लीला हुई यह न्यारी!
विनाश अधर्म का हुआ,विजयी हुई सनातन संस्कृति हमारी!!