हिसाब”
हिसाब… हिसाब… हिसाब
मगर किसका रखूँ हिसाब
कितने का रखूँ हिसाब
अगर सबका रखने लगूँ तो
भर जाएगी पूरी किताब
खत्म हो जाएगी साँसें
मर जाएंगे सारे अहसासें।
अगर भरोसा ना हो तो
रख कर देखो हिसाब
जिन्दगी का, साँसों का
यादों का, अहसासों का
वक्त का, कर्ज का
दर्द और फर्ज का।
तराजू पकड़े जो दिखते
कोर्ट-कचहरी में
उनके पास तो यारों
बस एक ही काम है
हिसाब-किताब रखना,
लेकिन मेरे पास तो
हजारों काम है, मसलन
सवालों का भी जवाब रखना।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
श्रेष्ठ लेखक के रूप में विश्व रिकॉर्ड में दर्ज
टैलेंट आइकॉन- 2022.