हिन्दी ही दोस्तों
हिन्दी ही दोस्तों
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मेरी निजी जुबान है ,हिन्दी ही दोस्तों ,
मेरे लिए महान है ,हिन्दी ही दोस्तों ।
जो भी लिखूँ वही पढूँ , देखो तो खासियत ,
हम सबकी आन-बान है , हिन्दी ही दोस्तों ।
अपनो के द्वारा नित्य , प्रताड़ित करी गई ,
अब भी लहू-लुहान है , हिन्दी ही दोस्तों ।
हिन्दी बिना लगती है , अधूरी सी ज़िन्दगी ,
“शमा”के लिए जान है , हिन्दी ही दोस्तों ।।
शमा परवीन -बहराइच (उ.प्र.)