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4 May 2024 · 1 min read

मेघों का इंतजार है

मेघों का इंतजार है
हाँ मेघों का इंतजार है

तपन भी है और जलन भी है
मिलन की वही एक लगन भी है
चाहत है दरकार है–मेघों का इंतजार है

धरा भी बहुत ही प्यासी है
गुलशन उपवन में भी उबासी है
हर प्राणी लाचार है–मेघों का इंतजार है

समीर भी गरम और मंद है
भानु का स्वरूप घना प्रचण्ड है
मौसम नागवार है–मेघों का इंतजार है

तरूवर की छाया सुहाती है
पर ये भी कितने दिन भाती है
हर पंछी बेजार है–मेघों का इंतजार है

ताल-तलैये सब सूख रहे हैं
कब होगा आना यही पूछ रहे हैं
पानी की तकरार है–मेघों का इंतजार है

दिन हो चाहे अब रैन है
‘V9द’ मन उद्विग्न है बेचैन है
बयार है ना बहार है–मेघों का इंतजार है

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 26 Views
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