Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

रक्तदान पर कुंडलिया

दानी बन के नाम का,करते थे जो बात |
पंसारी का काम है , जैसे थे जज़्बात |
जैसे थे जज़्बात,चाहते दान न करिये |
छलते छलिया नित्य, बचाते इनसे रहिये |
रक्तदान का काम , सभी सूरत पहचानी |
व्यवसायी की तरह ,दान करते जो दानी |

होता है व्यापार जो, रक्त दान के नाम|
व्यवसायी बन बेचते , करें इसे बदनाम..|
करें इसे बदनाम ,इसे उद्योग चुनेंगे ..|.
पंसारी का काम, चिकित्सक शीश धुनेंगे|
कहें प्रेम कविराय, अस्मिता मानो खोता|
रक्तदान बिन शुद्ध , रक्त क्या संभव होता|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

42 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
रास्तों पर चलते-चलते
रास्तों पर चलते-चलते
VINOD CHAUHAN
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
वृद्धाश्रम इस समस्या का
वृद्धाश्रम इस समस्या का
Dr fauzia Naseem shad
Jay prakash dewangan
Jay prakash dewangan
Jay Dewangan
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
तुम्हारा प्यार मिले तो मैं यार जी लूंगा।
सत्य कुमार प्रेमी
"विनती बारम्बार"
Dr. Kishan tandon kranti
वो लोग....
वो लोग....
Sapna K S
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
Shweta Soni
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सदद्विचार
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शहर - दीपक नीलपदम्
शहर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
नादान प्रेम
नादान प्रेम
अनिल "आदर्श"
*दोहा*
*दोहा*
Ravi Prakash
मां गोदी का आसन स्वर्ग सिंहासन💺
मां गोदी का आसन स्वर्ग सिंहासन💺
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वाणी का माधुर्य और मर्यादा
वाणी का माधुर्य और मर्यादा
Paras Nath Jha
समझ
समझ
Shyam Sundar Subramanian
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
शेखर सिंह
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
Sanjay ' शून्य'
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
gurudeenverma198
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
अनमोल मोती
अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
2722.*पूर्णिका*
2722.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शालीनता की गणित
शालीनता की गणित
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं
भरत कुमार सोलंकी
वसंत की बहार।
वसंत की बहार।
Anil Mishra Prahari
जय जगदम्बे जय माँ काली
जय जगदम्बे जय माँ काली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रभु जी हम पर कृपा करो
प्रभु जी हम पर कृपा करो
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Loading...