हिना (मेहंदी)( फाल्गुन गीत)
हिना (मेहंदी)( फाल्गुन गीत)
हिना लगी मेरे हाथ सखी रे ,
हिना लगी मेरे हाथ |
साजन नही मेरे पास सखी रे ,
हिना लगी मेरे हाथ ||टेक||
सावन का महीना बरसे बदरियाँ, |
साजन की चाहत मे बिछी चदरिया ||
साजन गये उस पार सखी रे ,
हिना लगी मेरे हाथ||1||
सखी सहेलीयाँ ताना मारे |
रूठ गए क्या साजन तेरे ||
साजन के बदले मिजाज,सखी रे ,
हिना लगी मेरे हाथ ||2||
हिना लगाये जागू सारी रतियां |
साजन नही किससे करूँ बतियां ||
है ए राज की बात सखी रे ,
हिना लगी मेरे हाथ सखी रे ||3||
डॉ पी सी बिसेन
मोती नगर बालाघाट