Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

कलंक

प्रेम किया नहीं अबतलक
कारण रहा कलंक।
मातु पिता की छबि सदा
बेदाग रहे निष्कलंक।।

आम बात सोचे सभी
काम करो ये विचार।
नहीं संग आलोचना
जीवन बने अचार।।

कहि कलंक जो लग गया
एक बार भी भाय।
जीवन मुश्किल में पड़े
पुनि पाछे पछताय।।

यह कलंक एक चीज है
डरती दुनिया होय
दुविधा में जीवे सभी
अश्व बेच के सोया।

जीवन के हर मोड़ पर
है कलंक का डर
कुछ घटनाये छिपत है
कुछ है होत मुखर।।

इसी डरन के डर सुनो
चलता सोझ समाज
किया किनारे अब इसे
वृद्धाश्रम है आज।।

जीवन भर इस सोच के
हुआ गलत नहि काम।
निर्मेष इसी कारण कहीं
ना होवे बदनाम।।

निर्मेष

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all
You may also like:
डर
डर
Neeraj Agarwal
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
sudhir kumar
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
साधना से सिद्धि.....
साधना से सिद्धि.....
Santosh Soni
प्रतिबद्ध मन
प्रतिबद्ध मन
लक्ष्मी सिंह
“दो अपना तुम साथ मुझे”
“दो अपना तुम साथ मुझे”
DrLakshman Jha Parimal
دل کا
دل کا
Dr fauzia Naseem shad
प्रीत ऐसी जुड़ी की
प्रीत ऐसी जुड़ी की
Seema gupta,Alwar
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
Shivkumar barman
■ आज की बात
■ आज की बात
*प्रणय प्रभात*
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
*शब्दों मे उलझे लोग* ( अयोध्या ) 21 of 25
Kshma Urmila
मेरी अना को मेरी खुद्दारी कहो या ज़िम्मेदारी,
मेरी अना को मेरी खुद्दारी कहो या ज़िम्मेदारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*याद है  हमको हमारा  जमाना*
*याद है हमको हमारा जमाना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
कुछ नींदों से अच्छे-खासे ख़्वाब उड़ जाते हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2294.पूर्णिका
2294.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
From dust to diamond.
From dust to diamond.
Manisha Manjari
इस राष्ट्र की तस्वीर, ऐसी हम बनायें
इस राष्ट्र की तस्वीर, ऐसी हम बनायें
gurudeenverma198
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
VEDANTA PATEL
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
Anand Kumar
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
पूर्वार्थ
.
.
NiYa
सावन का महीना
सावन का महीना
विजय कुमार अग्रवाल
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
मोर
मोर
Manu Vashistha
मोहब्बत
मोहब्बत
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
Surinder blackpen
प्रदूषण
प्रदूषण
Pushpa Tiwari
Loading...