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30 May 2023 · 1 min read

मोर

मोर ___
रोज सवेरे छत पर मेरे,
दाना चुगने आता मोर।
पेंकू पेंकू गाना गाता,
सुंदर पंख फैलाता मोर।
घुमड़ घुमड़ जब आए बादल,
जोर जोर चिल्लाता मोर।
ठुमक ठुमक कर फेरे लेता,
सुंदर नाच दिखाता मोर।
टपटप टपटप बादल बरसे,
मगन हो मुस्काता मोर।
जब वो देखता अपने पैर,
बहुत दुखी हो जाता मोर।
जब भी कोई आहट होती,
दाना खा उड़ जाता मोर।
__ मनु वाशिष्ठ

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