Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2023 · 5 min read

हिंदू कौन?

मै हिंदू क्यों हूं?

“कहां पता उसको वो कौन था, आंख कान थे खुले मगर मुख मौन था”

प्राकृतिक रूप से मानव जीवन की शुरुवात एक स्त्री के गर्भ से, जिसे मां कहते है और स्त्री, मां बनती है तब जब उसे एक पुरुष का सानिध्य मिलता है, जो कि उस मां का पति होता है, पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्थाओं के अनुरूप, उसे ही पिता कहते हैं। अतः एक निश्चित अवधि के बाद एक शिशु जन्म लेता है, मां के गर्भ में पलने के बाद। वह धीरे धीरे चलना, दौड़ना और बोलना सीखता है, क्योंकि शुरुवाती समय वह मां के साथ रहता है अतः मां ही उसकी पहली शिक्षिका होती है जो बताती संबंधों को और सिखाती है उनके साथ किए जाने वाले व्यवहारों को। अतः पिता के अनुशासन और सामाजिक व्यवस्थाओं को सौंपने के पहले मां उसे प्राथमिक शिक्षा दे देती है।

अतः रोहन का जन्म एक ऐसे ही भारतीय परिवार में होता है। मौसी और बुआ जी ने उसका नामकरण किया था पंडित जी से जन्मपत्री बनवाने के बाद। अब रोहन अपने पिता और सभी संबंधियों को पहचानता है और सभी के साथ यथोचित व्यवहार करता है। उसका मुंडन होनेवाला है, मां ने उसे बताया कि मुंडन 3 या 5 वर्ष में होने चाहिए और तुम्हारा तीसरा साल पूरा होनेवाला है। अब वह जिज्ञासु हो गया था, अतः मां से अपने जन्म के बारे में पूछने लगा। मां ने बताया की उसका जन्म घर की ही दालान में हुआ है और गांव की महरीन (चमायीन) ने ही उसकी तथा मेरी देखभाल की थी, लगातार दो हफ्तों तक, फिर बरही वाले दिन पूजा पाठ के बाद मैं और तुम शुद्ध हुए और बाहर निकले। वह तपाक से पूछ बैठा, तो महरीन कब शुद्ध होंगी। मां ने बताया यह उनका कर्म है, सबका जन्म करवाती है और सब लोग उनको मां जैसा ही सम्मान करते है। मां ने समझाया सभी बड़ो का सम्मान करना चाहिए, जातियां तो कर्म भेद के लिए बनाई गई है। अब मुंडन का दिन आगया, पंडित, नाई, कहार, चमार, धोबी, लोहार और अन्य जाति कर्म के लोग इकट्ठा हुए थे, रोहन बहुत खुश था, गानेवाले नाचनेवाले भी आए थे। यादव जी दही दूध और घी लेकर पहुंचे। मुंडन संस्कार समाप्त हुआ, उस दिन रोहन बहुत रोया, नाई चाचा ने उसके बाल जो काटे थे? पंडित जी सहित सभी ने भोजन किया और उपहार लेकर अपने अपने घर चले गए। घर में भी सभी को कुछ न कुछ उपहार मिला और सभी प्रसन्न थे।

गांव में एक ही प्राइमरी पाठशाला है, अब रोहन पिता जी के साथ स्कूल गया और उसका दाखिला हो जाता है। वह अभी छोटी गोल में दाखिला पाया है, उसे मुंशी जी पढ़ाएंगे। स्कूल में हेडमास्टर के अलावा वहां पंडित जी, बाऊ साहब और मुंशी जी अध्यापक है। उसे बड़ा मजा आता, टाट पर सभी के साथ बैठने , पढ़ने और खेलने में। घर में पढ़ने के नाम पर केवल राम चरित मानस, वह भी पिताजी खुद पढ़ते और सुनाते। पिता जी बताते कि पेड़ पौधे, पशु पक्षी, नदी पहाड़, समुद्र सभी जड़ और चेतन, ईश्वरीय चेतना से चैतन्य हैं हम सब भी इन सब की तरह ईश्वर की संतान हैं। वह बताते की पीपल, नीम, तुलसी, आम जैसे पौधों का महत्व, वह सूर्य के प्रकाश और उपयोगिता भी बताते। वह प्रेम, अहिंसा और करुणा का महत्व और उपयोगिता सिखाते। धीरे धीरे वह प्रथम में पहुंच गया अब उसको अपनी मातृभाषा लिखना, पढ़ना और बोलना अच्छी तरह आ गया। रोहन पांच साल का हो चला, अब उसका दाखिला गांव से दूर शहर के एक विद्यालय में होना था,वह बहुत रोया क्योंकि उसके बचपन के सभी मित्र छूट रहे थे और छूट रही थी प्यारी मां।

पिताजी ने दाखिला दिलाकर एक रिश्तेदार के वहां रहने की व्यवस्था कर दिया। रोहन के लिए सब कुछ नया परंतु पिता जी के जीवन मंत्र साथ थे। अपने व्यवहार से सबका प्यारा हो गया रोहन, यहां भी दोस्तों के साथ खेलना, पढ़ना और घूमना अच्छा लगने लगा। वैसे उसकी कक्षा में कुछ अजीब नाम के बच्चे भी थे, जो नाम उसने गांव में कभी नही सुने थे, पर उसे उससे कोई मतलब नहीं था,”आखिर नाम के क्या रखा है” ऐसा मानता था वह। वह अभी तक भाषा ( हिंदी/ संस्कृति/ अंग्रेजी) , अंकगणित की पढ़ाई किया है परंतु अगली कक्षा से उसे भूगोल, इतिहास और विज्ञान भी पढ़ना है। पहली बार इतिहास की कक्षा में गुरु जी ने बताया भारत के धर्म और पंथ के बारे में। जिसमे बताया गया कि हिंदू (मंदिर), मुस्लिम (मस्जिद), सिख (गुरुद्वारा) और क्रिश्चियन ( गिरिजाघर) में अपनी पूजा करते है। एक बार तो उसके दिमाग में आया कि शायद पिता जी गलत हो, फिर सोचा छोड़ो “नाम में क्या रखा है” । है तो सब एक ही ईश्वर की संतान। परंतु अब वह मंदिर जाने लगा था और अब तो व्रत कीर्तन भी करने लगा था। अब उसे द्रविड़, डेविड, दाऊद और दद्दा सिंह का मतलब धीरे धीरे समझ आने लगा था, इतिहास के गुरु जी जो थे। परंतु गणित और विज्ञान वाले गुरु जी इतना समय ही नहीं दिया कि वह पूरा इतिहास समझ पाए और पिता जी भी विज्ञान पढ़ाना चाहते थे। मंदिर के अलावा वह ताजिया में, गुरुद्वारे में भी लंगर खाने जाने लगा, अतः वह सभी धर्मो के त्योहारों का मजा लेने लगा। परंतु अपनी पूजा पद्धति को भी धूमधाम से मनाता था।

शिक्षा के दौरान ही उसे भारतीय रक्षा सेवा में नौकरी मिल गई और वह पढ़ाई छोड़ चल दिया देश सेवा के लिए। क्योंकि पिताजी ने राम पढ़ाया था, और राम ने राष्ट्रधर्म। कास्तकार ब्राह्मण के घर में पैदा हुआ था तो यज्ञोपवीत और शादी संस्कार ( सात जन्मों की व्यवस्था) भी हुए। अब उसे धर्म (सनातन), परंपरा ( पूर्वजों के कर्म) और संस्कृति (हिंदू) के बारे में बताया गया और संरक्षण की जिम्मेदारी भी। अब रोहन समझदार हो गया था, अब उसे पुस्तकालयों में रखी किताबों और जमीन पर घटने वाली घटनाओं का अंतर समझ आ रहा था। वह भारत का तो चप्पा चप्पा जान चुका था और यहां की विविधता को समझ चुका था और यह समझ में आ गया था की कुछ पढ़े लिखे लोग कुछ गवारों को अपना एजेंट( नेता) बनाके लोकतंत्र के नाम पर विश्व का संपूर्ण दोहन कर रहे है। अब उसे धर्म, रंगभेद का अंतर और उससे होने वाली हिंसा, घृणा और दानवीय प्रवित्री का पता चल चुका है। सभी विसंगतियों और चुनौतियों के बाद भी वह मां और पिता की सीख के साथ राम चरित मानस के मूल्यों को हृदय में रखकर, समाज में प्रेम अहिंसा और करूणा बांट रहा है।

“मुंह खुला और फिर बोल उठा, महि दानव तेरी खैर नहीं।
मै रक्षक सत्य सनातन का, पूजा पद्धति से कोईबैर नहीं।।”

अब लोग उसे हिंदू कहते है।

Language: Hindi
2 Likes · 429 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

प्रेम अब खंडित रहेगा।
प्रेम अब खंडित रहेगा।
Shubham Anand Manmeet
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#घर की तख्ती#
#घर की तख्ती#
Madhavi Srivastava
कभी  पलकें उठाते हो ,कभी  पलकें  गिराते  हो ।
कभी पलकें उठाते हो ,कभी पलकें गिराते हो ।
sushil sarna
सास बहू..…. एक सोच
सास बहू..…. एक सोच
Neeraj Kumar Agarwal
4054.💐 *पूर्णिका* 💐
4054.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सुनहरी भाषा
सुनहरी भाषा
Ritu Asooja
मोहब्बत तो हमें अपने आप से नहीं
मोहब्बत तो हमें अपने आप से नहीं
Shinde Poonam
मैं तुम में अपनी दुनियां ढूँढने लगी
मैं तुम में अपनी दुनियां ढूँढने लगी
Ritu Verma
सत्य तो सीधा है, सरल है
सत्य तो सीधा है, सरल है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
वह समझ लेती है मेरी अनकहीं बातो को।
वह समझ लेती है मेरी अनकहीं बातो को।
अश्विनी (विप्र)
स्वाभिमानी मनुष्य
स्वाभिमानी मनुष्य
पूर्वार्थ
A GIRL IN MY LIFE
A GIRL IN MY LIFE
SURYA PRAKASH SHARMA
काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
Shakil Alam
सबके सुख में अपना भी सुकून है
सबके सुख में अपना भी सुकून है
Amaro
कल के मरते आज मर जाओ।
कल के मरते आज मर जाओ।
पूर्वार्थ देव
🍁तेरे मेरे सन्देश- 8🍁
🍁तेरे मेरे सन्देश- 8🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
- मेरी कविता पढ़ रही होगी -
- मेरी कविता पढ़ रही होगी -
bharat gehlot
"गाय"
Dr. Kishan tandon kranti
दो गज असल जमीन
दो गज असल जमीन
RAMESH SHARMA
भारत का गणतंत्र
भारत का गणतंत्र
विजय कुमार अग्रवाल
मदारी
मदारी
Satish Srijan
🙅#पता_तो_चले-
🙅#पता_तो_चले-
*प्रणय प्रभात*
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
DrLakshman Jha Parimal
घर का सूना चूल्हा
घर का सूना चूल्हा
C S Santoshi
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हंँसते हुए ही जीना है
हंँसते हुए ही जीना है
Buddha Prakash
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धड़का करो
धड़का करो
©️ दामिनी नारायण सिंह
Loading...