कल के मरते आज मर जाओ।

कल के मरते आज मर जाओ।
संसार को क्या पड़ी हैं तुम्हारी।
कुछ अंतर ही नहीं पड़ता। कितने लोग आए, कितने लोग चले गए।
संसार तो अपनी जगह कायम हैं।
हटाओ इस व्यर्थ की झंझट को।
संसार तुम्हें नहीं पकड़ता, तुम संसार को पकड़े हुए हो।
हटाओ इस कूड़े कचरे को अपने मन से, अपने आप में मस्त रहो स्वस्थ रहो।
यहाँ कोई किसी का नहीं हैं, सब भीड़ हैं स्वार्थ की।
भीड़ का क्या भरोसा।
कल तुम्हारे साथ थी, आज किसी और के साथ हैं।
बस तुम जाग लो, जागना तुम्हें हैं।