हर हक़ीक़त को
इश्क ए शिद्दत को चूमना चाहूँ ।
मैं तुम्हें खुद में ढूंढना चाहूँ ।।
ख्वाब रख के तुम्हारा आंखों में ।
हर हक़ीक़त को भूलना चाहूँ ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
इश्क ए शिद्दत को चूमना चाहूँ ।
मैं तुम्हें खुद में ढूंढना चाहूँ ।।
ख्वाब रख के तुम्हारा आंखों में ।
हर हक़ीक़त को भूलना चाहूँ ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद